दिल्ली में नाबालिग अपराध में अपना दबदबा बनाने के लिए बड़ी वारदात को अंजाम देने में जरा भी हिचक नहीं रहे हैं। जिस उम्र में उनके हाथों में किताब होनी चाहिए, उन्हीं हाथों से वह गोलियां बरसाकर व चाकू से ताबड़तोड़ वर कर हत्याएं कर रहे हैं

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ओम धगाल - पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भाजपा युवा मोर्चा

ओम धगाल की और से हिंडोली विधानसभा क्षेत्र एवं बूंदी जिले वासियों को रौशनी के त्यौहार दीपावली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं

ताजा मामला जाफराबाद थाना क्षेत्र का है, लूट का विरोध करने पर चार नाबालिगों ने कैब चालक की गला रेतकर हत्या कर दी। इलाके में वर्चस्व कायम करने से लेकर लूट का विरोध करने पर हत्या कर रहे हैं।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार पिछले पांच महीने में नाबालिगों ने 12 हत्याएं की हैं। कई केस ऐसे सामने आए हैं जब पुलिस को पूछताछ में पता चला कि बालीवुड की कई फिल्म देखकर नाबालिग बदमाश बने हैं।

फिल्में देखकर बदमाश बने थे दो नाबालिग

मंडावली थाने में गत अप्रैल में हुई हत्या के मामले में पकड़े गए दो नाबालिग फिल्में देखकर ही बदमाश बने थे। पुलिस का कहना है हत्या, लूट व बड़े अपराधों में पकड़े गए नाबालिग वह हैं जो किसी न किसी वजह से स्कूल या कालेज की पढ़ाई बीच में छोड़ चुके होते हैं।

वर्ष 2015 में दो नाबालिगों ने नशा करके कड़कड़डूमा कोर्ट रूम में गैंगस्टर छेनू पर गोलियां बरसाई थी, जिसमें एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई थी। कई गैंगस्टर ने अपने गिरोह में नाबालिगों को शामिल किया हुआ है।

हाल ही की घटनाएं 

  • 20 मार्च 2023 : नेबसराय इलाके में नाबालिग ने लूटपाट का विरोध करने पर की थी बुजुर्ग की हत्या।
  • 10 मार्च 2023 : महरौली इलाके में शैंपू खरीदने के दौरान हुए विवाद में तीन नाबालिगों ने एक युवक की थी हत्या।
  • 08 मार्च 2023 : तुगलकाबाद एक्सटेंशन इलाके में होली के दिन स्कूटी टकराने के विवाद में एक नाबालिग ने की थी युवक की हत्या।
  • 30 जनवरी 2023 : कालकाजी इलाके में छात्रों के दो गुटों में मारपीट में एक नाबालिग की हत्या।

मानसिकता को समझने की जरूरत

मनोचिकित्सक माला वोहरा ने बताया कि नाबालिगों की मानसिकता को समझने की बहुत ज्यादा जरूरत है। कई बार देखने में आया है कि नाबालिग अपनी बातें अपने परिवार व साथ के लोगों से कह नहीं पाते हैं, चुप रहते हैं।

उनका चुप रहना भी खतरनाक होता है, क्योंकि उनके दिमाग अलग-अलग बातें चल रही होती हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चों की बातों को सुनें।