नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आज आने वाले हैं। 224 सीटों पर वोटों की गिनती शुरू हो गई है। वर्तमान में राज्य की सत्ता संभाल रही बीजेपी दोबारा से वापसी करने का दावा कर रही है।
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उधर, कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) की निगाहें मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने पर गड़ी हुई हैं। दूर से देखने पर कर्नाटक विधान सभा चुनाव द्विध्रुवीय संघर्ष नजर आ सकते हैं, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस के बीच जेडीएस ने तीसरी शक्ति के रूप में लगभग दो दशकों से अपनी जगह बनाई हुई है।
पार्टी ने कुल 224 सीटों में से करीब 200 पर अपने उम्मीदवार उतारे। कर्नाटक की राजनीति में जेडीएस किंगमेकर की भूमिका निभाती रही है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी इस बार भी पूरे दमखम के साथ मैदान में है।
JDS ने घोषणापत्र में दिया महिला सशक्तिकरण और किसानों के विकास पर जोर
- जेडीएस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर अपने घोषणा पत्र में महिलाओं को एक साल में पांच कुकिंग सिलेंडर देने की घोषणा की है।
- इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को छह महीने के लिए छह हजार रुपये, विधवा महिलाओं को 900 रुपये की जगह 2500 रुपये सहायता राशि और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पांच हजार रुपये सैलरी देने का एलान किया है। साथ ही उन्होंने 15 साल की सेवा पूरी करने वाले व्यक्तियों के लिए पेंशन की घोषणा की है।
- साथ ही पार्टी ने प्रति एकड़ 10,000 रुपये की सब्सिडी देने का भी प्रस्ताव दिया है। इसमें किसान-खेतिहर मजदूरों के लिए 2,000 रुपये मासिक भत्ता, कृषि करने वाले युवाओं से शादी करने वाली महिलाओं के लिए 2 लाख रुपये की सब्सिडी देने की घोषणा की है।
- उन्होंने विभिन्न सिविल सेवाओं और रक्षा भर्तियों के लिए कन्नड़ में परीक्षा आयोजित करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का वादा किया है। पार्टी ने यह भी वादा किया कि अगर वह सत्ता में आई तो निजी क्षेत्र में कन्नडिगा के लिए आरक्षण प्रदान करने के लिए कानून लाएगी।
- पार्टी ने सरकारी कॉलेजों में पढ़ने वाली 60,000 छात्राओं को मुफ्त में 6.8 लाख साइकिल और ईवी मोपेड वितरित करने का प्रस्ताव रखा है। साथ ही घोषणापत्र हर जिले में सरकारी मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पतालों को लेकर भी वादा किया है।
- बता दें कि जद(एस) ने देवेगौड़ा की बहू भवानी रेवन्ना को टिकट जारी करने के मामले पर पारिवारिक कलह को सुलझा लिया है। जद(एस) ने पार्टी नेता स्वरूप प्रकाश को टिकट देने का फैसला किया है। पार्टी ने दो सूचियों में 142 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। पार्टी को 82 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा करनी है।
आपको बता दें कि कुमारस्वामी पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के तीसरे बेटे हैं। पेशे से कुमारस्वामी फिल्म प्रोड्यूसर रहे हैं लेकिन अब वो पूर्णकालिक राजनेता हैं।
1999 में जेडीएस के गठन के बाद से पार्टी ने हर चुनाव में कई सीटें जीती हैं लेकिन अब तक बड़ी संख्या वो कभी हासिल नहीं कर पाई। 2018 में पार्टी ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की थी जिसके बाद उसने कांग्रेस से हाथ मिला कर सरकार बनाई थी और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने सबसे पहले साल 1996 में राजनीति में प्रवेश किया था जब वह रामनगर जिले के कर्मपुरा संसदीय सीट से लोकसभा सांसद चुने गए थे। साल 1998 में उन्होंने दोबारा इसी सीट से चुनाव लड़ा लेकिन बहुत कम वोटों के मार्जिन से चुनाव हार गए। साल 2004 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव ने कुमारस्वामी की किस्मत खोल दी थी।
कौन हैं कुमारस्वामी
- एच डी कुमारस्वामी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे हैं।
- ग्रैजुएशन तक की पढ़ाई कर चुके कुमारस्वामी को लोग कुमारन्ना और एचडीके के नाम से भी बुलाते हैं।
- कुमारस्वामी का राजनीति में प्रवेश 1996 में कनकपुरा से लोकसभा चुनाव लड़ने और जीत दर्ज करने से हुआ।
- राजनीति के अलावा कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में प्रड्यूसर और डिस्ट्रिब्यूटर का काम भी कर चुके हैं।
कुमारस्वामी का राजनीतिक सफर
- 2019 24 जुलाई 2019 को कर्नाटक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाले कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को 99 वोट मिले, जबकि विपक्ष में बैठी भाजपा को 105। जिसके चलते कुमारस्वामी की सरकार गिर गई और उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा।
- 2018 कर्नाटक विधानसभा चुनाव में, कर्नाटक के लोगों के लिए एक और त्रिशंकु विधानसभा के लिए खंडित जनादेश दिया, लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी से समर्थन के साथ। वे 23 मई, 2018 को मुख्यमंत्री बन गए।
- नवंबर 2014 में, उन्हें फिर से पार्टी के कर्नाटक राज्य अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया।
- 2013, 31 मई को वे कर्नाटक विधान सभा में विपक्ष के नेता बने। 2009 उन्हें 15 वीं लोकसभा (दूसरी अवधि) में फिर से निर्वाचित किया गया।
- जनवरी, 2006 में, राज्यपाल टी एन चतुर्वेदी ने सरकार बनाने के लिए कुमारस्वामी को आमंत्रित किया क्योंकि बीजेपी जेडी (एस) के साथ 20 महीने के दमदार साझा समझौते में आई थी। वे 4 फरवरी, 2006 को राज्य के मुख्यमंत्री बने और 8 अक्टूबर, 2007 तक कार्यालय में रहे। इस्तीफा देने से पहले, उन्होंने अगले 20 महीनों तक भाजपा को सत्ता हस्तांतरित करने से इनकार कर दिया।