नई दिल्ली,Karnataka Assembly Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के लिए प्रचार अभियान आठ मई की शाम थम गया। अब सभी राजनीतिक दलों की नजरें 13 मई को आने वाले नतीजे पर टिकी हुई है। चाहे भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस दोनों ने प्रचार अभियान में पूरी ताकत झोंक दी थी। भाजपा की ओर से जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कमान संभाली तो वहीं कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनावी प्रचार को धार दिया।
पीएम मोदी ने की 16 जनसभाएं, छह रोड शो
पीएम मोदी ने कर्नाटक में 16 जनसभा और छह रोड शो कर पार्टी की तरफ से परफेक्ट फिनिशर की भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री ने 24 अप्रैल से सात मई तक तीन रातें राज्य में गुजारीं। वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी प्रचार करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी।
कर्नाटक में 10 मई को होगा मतदान
कर्नाटक की 224 सीटों के लिए 10 मई को वोट डाले जाएंगे। राज्य में इस समय भाजपा की सरकार है और बसवराज बोम्मई मुख्यमंत्री हैं। भाजपा की कोशिश राज्य में पिछले साढ़े तीन दशक से सत्ता बदलने के ट्रेंड को बदलने की थी, वहीं कांग्रेस इस ट्रेंड को बरकरार रहने की उम्मीद कर रही है।
कांग्रेस ने भाजपा को दिया वापसी का मौका
कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान की सधी शुरुआत की। उसने पीएम मोदी पर सीधे हमले से बचने की रणनीति बनाई और ध्रुवीकरण की स्थिति भी न आने देने की कोशिश की, लेकिन प्रचार अभियान के समाप्त होने तक वह इसे बरकरार नहीं रख पाई। उसने भाजपा को हमला करने का मौका दे दिया।
भाजपा के सामने 'द गेटवे आफ साउथ' को बचाने की चुनौती
- भाजपा के लिए कर्नाटक 'द गेदवे आफ साउथ' है।
- यह दक्षिण भारत में इकलौता राज्य है, जहां भाजपा सत्ता में है।
- उसके सामने अपने इस इकलौते दुर्ग को बचाने की कड़ी चुनौती है।
- इस चुनौती को पार करने में वह कितना सफल रहती है, यह 13 मई को आने वाले नतीजों से पता चलेगा।
कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना, लेकिन फिर...
फिलहाल कांग्रेस ने सत्ता में वापसी के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार जैसे नेताओं के भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने से पार्टी को यह आस जगी कि इस बार माहौल उसके पक्ष में है, लेकिन फिर कांग्रेस ने बड़ी गलती कर दी। शुरुआत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने की। उन्होंने पीएम मोदी को 'जहरीला सांप' बताया और भाजपा को पलटवार का मौका दे दिया। इसके बाद उनके बेटे प्रियांक खरगे ने प्रधानमंत्री को 'नालायक' कह दिया।
भाजपा ने चला बड़ा दांव
- भाजपा ने चुनाव से पहले बड़ा दांव चलते हुए लिंगायत और वोक्कालिगों के आरक्षण के लिए मुसलमानों का चार प्रतिशत आरक्षण खत्म कर दिया।
- भाजपा के इस दांव को कांग्रेस समझ नहीं पाई और उसने अपने घोषणा पत्र में मुस्लिमों का आरक्षण बहाल करने और बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर ध्रुवीकरण की जमीन खुद तैयार कर ली।
- भाजपा को इसी मौके का इंतजार था, जिसका उसने बखूबी फायदा उठाया।
बजरंग बली का अपमान करने का आरोप
भाजपा ने कांग्रेस पर बजरंग बली का अपमान करने का आरोप लगाया। पीएम मोदी ने भी अपनी रैलियों में बजरंग बली की जय के नारे लगाए। हालांकि, कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने इस मुद्दे पर यू-टर्न लेने की कोशिश की, लेकिन तब तक भाजपा इसे अपने अभियान में हवा दे चुकी थी।