जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह अतीक अहमद अब इस दुनिया में नहीं रहा। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में भाई अशरफ के साथ उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। अब पुलिस उमेश पाल हत्याकांड में कई दिनों से फरार चल रही अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन को माफिया घोषित करने की तैयारी कर रही है। हालांकि, कागजों में उसे माफिया ही लिखा जा रहा है। आइए जानते हैं, माफिया किसे कहते हैं, इस शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई और इसका इतिहास क्या है
माफिया शब्द का इतिहास (History of Mafia word)
ऐसा माना जाता है कि माफिया शब्द की उत्पत्ति सबसे पहले 1282 में सिसिली में फ्रांसीसी आक्रमण के समय हुई थी, जिसे Morte Alla Francia Italia Anela (फ्रांसीसी की मौत इटली की पुकार है) यानी M.A.F.I.A कहा गया। सन 1865 में सिसिली में पुलिस माफिया शब्द का प्रयोग कर रही थी। विशेष रूप से डेलिटो डी माफिया वाक्यांश का उपयोग एक ऐसे व्यक्ति का वर्णन करने के लिए किया गया था, जो अपराधों की योजना बनाता है और उन्हें पूरा करने के लिए दूसरों को भुगतान करता है यानी पैसे देता है।
सबसे पहले इटली में माफिया शब्द का हुआ उपयोग
माफिया एक इटैलियन शब्द है, जो सम्भवतः अठारहवीं शताब्दी में प्रचलन में आया था। इसका सबसे पहले उपयोग इटली में हुआ था। माफिया किसी एक व्यक्ति या गुंडे को नहीं कहा जाता, बल्कि यह एक प्रकार का आपराधिक संगठन होता है, जो कई तरह के व्यवसाय में निवेश करते हैं।
माफिया के काम
- हिंसा
- हत्या
- धमकी
- ड्रग्स की सप्लाई
- तस्करी
- दो गुटों के बीच समझौता करना
- बंदूक के दम पर लोगों को नियम मानने पर मजबूर करना
माफिया को और किस नाम से जाना जाता है?
माफिया को अलग-अलग देशों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। नाइजीरिया में इसे FYG यानी FY गैंग, जापान में यकुजा, चीन में त्रियाद, रूस में ब्रटवुर्स्ट, मेक्सिको और दक्षिण अमेरिका में ड्रग कार्टेल और अफ्रीकी देशों में गैंग', द यार्डी' और ट्राईडेंट कहा जाता है।
शाइस्ता परवीन पर 50 हजार रुपये का इनाम
शाइस्ता परवीन उमेश पाल हत्याकांड के बाद से फरार है। पुलिस ने उस पर 50 हजार रुपये का इनाम भी रखा है। शाइस्ता की 1996 में अतीक के साथ शादी हुई थी। शादी से पहले तक वह जुर्म की दुनिया से दूर थी। उसके पिता पुलिस में थे। शाइस्ता ने 12वीं तक पढ़ाई की है।
बसपा ने शाइस्ता परवीन को पार्टी से किया निष्कासित
अगर शाइस्ता परवीन के राजनीतिक करियर की बात करें तो अतीक के जेल में रहने के दौरान उसने 2021 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी ज्वाइन की थी। इसके बाद, 2023 में AIMIM से इस्तीफा देकर वह बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गईं और प्रयागराज से पार्टी की मेयर उम्मीदवार बन गईं। हालांकि, उमेश पाल के हत्यारों को पनाह देने के आरोप में घिरने के बाद बसपा ने कहा कि शाइस्ता परवीन को अब टिकट नहीं दिया जाएगा।
शाइस्ता पर दर्ज हैं चार मुकदमे
शाइस्ता परवीन पर चार मुकदमे दर्ज हैं। उसके बेटे असद का एनकाउंटर हो गया है, जबकि उमर लखनऊ और अली नैनी जेल में बंद है। उमर पर जबरन वसूली, मारपीट और अपहरण का आरोप है तो अली पर हत्या का प्रयास और जबरन वसूली का आरोप है।
गैंगस्टर एक्ट क्या है? (What is Gangster Act)
उत्तर प्रदेश में 1986 में गैंगस्टर एक्ट लागू किया गया था। गैंगस्टर में गैंग का मतलब समूह और स्टर का मतबल भीड़ से है। गैंगस्टर एक्ट समूह या गिरोह बनाकर अपराध करने वालों पर शिकंजा कसने के लिए लाया गया था।
गैंगस्टर किसे कहा जाता है?
गैंगस्टर एक्ट के मुताबिक, जब एक से ज्यादा लोग किसी अपराध को अंजाम दें और उस अपराध के जरिए अलग-अलग तरह के फायदा उठाएं तो उन्हें गैंगस्टर माना जाएगा।
गैंगस्टर एक्ट किस पर लगाया जाता है?
गैंगस्टर एक्ट गैंगरेप, लूट, हत्या, डकैती, रंगदारी, अपहरण, अंगों की तस्करी, मानव तस्करी, यौन शोषण, बंधुआ मजदूरी और फेक करेंसी छापने में शामिल लोगों पर लगाया जाता है। जब भी किसी पर इस एक्ट के तहत कार्रवाई होती है, उस पर एक से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए जाते हैं।
किसी अपराधी पर कब लगाया जाता है गैंगस्टर एक्ट?
जब कोई गैंग एक के बाद एक कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम देता है तो पुलिस उसके गैंग का चार्ट तैयार करते हैं। इस चार्च में गैंग के सभी सदस्यो का नाम होता है। इसमें से किसी एक को गैंग का सरगना बनाया जाता है, जिसे बाद में गैंगस्टर घोषित कर दिया जाता है।
गैंगस्टर एक्ट के तहत कितने साल की सजा मिलती है?
गैंगस्टर एक्ट के तहत कम से कम दो और अधिक से अधिक 10 साल की सजा होती है। इसके अलावा, अपराधी की संपत्ति को भी जब्त करने का प्रावधान है।