फंड की भारी कमी के कारण गो फर्स्ट एयरलाइन (Go First Airline) बुधवार से शुक्रवार तक के लिए अपनी उड़ानें बंद कर देगी. एयरलाइन ने एक बयान में कहा कि एयरलाइन के बेड़े का केवल 50 प्रतिशत ही परिचालन में है क्योंकि उसे अमेरिकी फर्म प्रैट एंड व्हिटनी (P) से अतिरिक्त इंजन नहीं मिल रहे हैं. इस घोषणा के बाद, विमानन नियामक डीजीसीए ने सभी निर्धारित उड़ानें रद्द करने से पहले उसे सूचित नहीं करने के लिए गो फर्स्ट को नोटिस भेजा और 24 घंटे के भीतर जवाब मांगा.
एयरलाइंस को ऐसा करने से पहले नियामक को बताना होगा कि वे सभी निर्धारित उड़ानें रद्द करना चाहते हैं, अन्यथा यह नागरिक उड्डयन नियमों का उल्लंघन होगा. गो फर्स्ट ने कहा कि उसे "पीएंडडब्ल्यू इंटरनेशनल एयरो इंजन द्वारा आपूर्ति किए गए विफल इंजनों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण उड़ानें बंद करनी पड़ीं, नतीजतन गो फर्स्ट को 25 विमान (अपने एयरबस ए320 नियो बेड़े का 50 प्रतिशत) ग्राउंड करने पड़े."
वाडिया समूह के स्वामित्व वाली एयरलाइन ने दिल्ली में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के समक्ष दिवालियापन के लिए भी अर्जी दायर की है. गो फर्स्ट के मुख्य कार्यकारी कौशिक खोना ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय है (स्वैच्छिक दिवाला समाधान कार्यवाही के लिए दाखिल करना) लेकिन कंपनी के हितों की रक्षा के लिए ऐसा किया जाना बेहद जरूरी था."
गो फर्स्ट ने सोमवार को 25 विमान, या बेड़े का 50 प्रतिशत ग्राउंड किया है. इससे सीधे तौर पर फंड की कमी हो गई है क्योंकि पर्याप्त विमान नहीं होने से एविएशन सेक्टर में कमाई बहुत तेजी से घट रही है. एयरलाइन ने बयान में कहा कि सिंगापुर के एक मध्यस्थ ने पीएंडडब्ल्यू को 27 अप्रैल, 2023 तक कम से कम 10 सेवा योग्य स्पेयर लीज्ड इंजन और 10 और इंजन, जिनमें से हर महीने एक को इस साल दिसंबर तक आपूर्ति करने का आदेश दिया. लेकिन पीएंडडब्ल्यू ने आदेश का पालन नहीं किया.
एयरलाइन ने कहा, "अगर पीएंडडब्ल्यू आपातकालीन मध्यस्थ के फैसले में आदेशों का पालन करती है, तो गो फर्स्ट फिर से अगस्त-सितंबर 2023 तक पूर्ण परिचालन में वापस आ जाएगी." नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पुष्टि की कि गो फर्स्ट इंजन के संदर्भ में आपूर्ति से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रही है, सरकार हरसंभव तरीके से एयरलाइन की मदद करती रही है.