नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे बादल सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि बादल साहब हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे। दरअसल, 25 अप्रैल को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल का 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया। इस शोक की घड़ी में राजनीतिक जगत के सभी बड़े नेताओं और मंत्रियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

'मैंने एक पिता तुल्य व्यक्ति खो दिया '

अकाली दल के नेता बादल सिंह के निधन पर बुधवार को अपनी वेबसाइट के एक ब्लॉग में पीएम मोदी ने लिखा, "25 अप्रैल की शाम को जब मुझे सरदार प्रकाश सिंह बादल जी के निधन की खबर मिली तो मन बहुत दुखी हुआ। उनके निधन से मैंने एक पिता तुल्य व्यक्ति खो दिया है, जिन्होंने दशकों तक मेरा मार्गदर्शन किया। उन्होंने कई तरीकों से भारत और पंजाब की राजनीति को आकार दिया है।"

'बादल सिंह की बात की अलग थी'

पीएम मोदी ने लिखा कि बादल सिंह की बात की अलग थी। उन्होंने लिखा, "बादल साहब एक बड़े नेता थे, यह हर कोई स्वीकार करता है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वह एक बड़े दिल वाले इंसान थे। एक बड़ा नेता बनना आसान है, लेकिन एक बड़े दिल वाला व्यक्ति होने के लिए और भी बहुत कुछ चाहिए। पूरे पंजाब में लोग कहते हैं कि बादल साहब की बात ही कुछ और थी।"

पीएम ने बताया पहली मुलाकात का किस्सा

पीएम मोदी ने अपनी और बादल सिंह की पहली मुलाकात को याद करते हुए लिखा, "1990 के दशक में जब मैं उत्तरी भारत में पार्टी के काम से जुड़ा था, तब मुझे बादल साहब के साथ करीब से बातचीत करने का मौका मिला। बादल साहब एक ऐसे राजनीतिक दिग्गज थे, जो पंजाब के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री, एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और दुनिया भर के करोड़ों पंजाबियों के दिलों पर राज करने वाले व्यक्ति थे।"

"वहीं,  दूसरी ओर, मैं एक साधारण कार्यकर्ता था, फिर भी उन्होंने कभी भी इसे हमारे बीच एक खाई नहीं बनने दी। अपनी आखिरी सांस तक वे दयालु व्यक्ति रहें। जिसने भी बादल साहब से करीब से बातचीत की है, वो हमेशा उन्हें याद करेगा।"

'मैं कभी नहीं भूल सकता'

पीएम मोदी उस दौर का किस्सा सुनाया जब 90 के दशक में बादल सिंह ने सीएम का शपथ ग्रहण किया। पीएम मोदी ने लिखा, "एक किस्सा है जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता। सीएम पद की शपथ लेने के बाद बादल साहब ने मुझसे कहा कि हम साथ-साथ अमृतसर जाएंगे, जहां हम रात को रुकेंगे और अगले दिन हम प्रार्थना करेंगे और लंगर करेंगे। इसके बाद, मैं एक गेस्ट हाउस में अपने कमरे में था, लेकिन बादल सिंह को जब इस बात का पता चला तो, वे तुरंत मेरे कमरे में आए।"