चीन के रक्षा मंत्रालय की तरफ से भारत और चीन के बीच 18वें दौर की कॉर्प्स कमांडर की बैठक के बाद बयान सामने आया है। इसमें कहा गया है कि बैठक में चीन और भारत दोनों ही देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने को लेकर सहमति जताई गई है।
साथ ही पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी गतिरोध से जुड़े प्रासंगिक मुद्दों का समाधान तेजी से हो, इसे लेकर भी सहमति हुई है। 23 अप्रैल को चुशुल-मोल्दो सीमा बैठक प्वाइंट पर चीन-भारत कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई। इसमें दोनों ही देश के सैन्य अधिकारियों ने 18वें राउंड की बैठक की।
ये बैठक दोनों देशों के बीच 5 महीने बाद हुई है। इसमें भारत की तरफ से फायर फ्यूरी कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रशीम बाली शामिल हुए।
बैठक को लेकर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के बयान में कहा गया है, "दोनों पक्षों के बीच अहम मुद्दों पर खुलकर बात रखी गई। साथ ही विचारों का भी आदान-प्रदान हुआ है।" खास बात ये है कि बैठक 27 और 28 अप्रैल को भारत में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से ठीक पहले हुई है, जिसमें चीनी रक्षा मंत्री ली शांगफू भी हिस्सा लेंगे।
2020 में शुरू हुई कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता
दोनों देशों की मांडर-स्तरीय ये मीटिंग साल 2020 में शुरू हुई थी। इस बैठक को तब शुरू किया गया था जब पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध शुरू हुआ था। ये वार्ता लद्दाख विवाद को हल करने के लिए दोनों पक्षों के बीच शुरू की गई थी। इसे लेकर भारत की तरफ से कहा गया था कि जबतक सीमावर्ती इलाकों पर शांति नहीं होगी, तब तक दोनों देशों के संबंधों में सुधार नहीं हो सकता है। 5 महीने पहले भी इस बैठक को रखा गया था।