प्रयागराज में उमेशपाल व दो पुलिसकर्मियों के हत्याकांड मामले में नामजद शूटरों का रविवार को एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो गया। प्रसारित वीडियो बरेली जिला जेल का है जिसमें हत्याकांड में शामिल माफिया अतीक का बेटा असद व सभी शूटर अशरफ से मिलाई के बाद जेल गेट से बाहर निकलते दिख रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि 12 फरवरी का यह वीडियो बरेली एसआइटी के हाथ लग चुका है। अवैध मुलाकात की पुष्टि हो चुकी, लेकिन बिथरी चैनपुर थाने में लिखी प्राथमिकी में आरोपितों का नाम नहीं खोला गया।

अशरफ था बरेली की जेल में बंद

दरअसल, माफिया अतीक का भाई अशरफ बरेली जिला जेल में बंद था। उमेशपाल व दो पुलिसकर्मियों के हत्याकांड के बाद बरेली के बिथरी चैनपुर थाने में माफिया अतीक के भाई अशरफ, उसके साले सद्दाम, गुर्गे लल्ला गद्दी, जेल वार्डन शिवहरि अवस्थी, कैंटीन संचालक दयाराम उर्फ नन्हे, जेल अधिकारी व कर्मचारी एवं अशरफ के अज्ञात षड्यंत्र रचने, रंगदारी, अपराधियों को संरक्षण देने व अन्य धाराओं में प्राथमिकी लिखी गई।

वीडियो में दिखे एक साथ सारे शूटर्स

वीडियो में माफिया अतीक का बेटा असद, गुलाम, गुड्डू मुस्लिम, उस्मान व अन्य आरोपित एक साथ निकलते दिख रहे हैं। जेल प्रशासन ने बाकायदा, शूटरों का जेल से निकलते वीडियो भी बरेली पुलिस और प्रयागराज पुलिस को सौंपा। बरेली में लिखे मामले की विवेचना सीओ तृतीय आशीष प्रताप सिंह ने शुरू की लेकिन, अब तक उन्होंने जेल में अवैध रूप से मुलाकात कर निकले शूटरों के नाम नहीं बढ़ाए। ऐसे में उनकी कार्रवाई भी सवालों के घेरे में हैं। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवेचक भी सवालों के घेरे में आए। इस पर जवाबदेही से बचने के लिए सीओ ने फोन उठाना बंद कर दिया।

सद्दाम का अब तक ना लगा पाई पता

बरेली पुलिस अब तक अशरफ के साले सद्दाम के बारे में कोई सुराग नहीं लगा सकी है। यह तब है जबकि सद्दाम 50 हजार का इनामी है।

चौतरफा घिरी थी बरेली पुलिस, तब लिखी गई थी प्राथमिकी

पूरे घटनाक्रम में बरेली पुलिस पहले ही दिन से सवालों के घेरे में है। उमेशपाल व पुलिसकर्मियों के हत्याकांड का षड्यंत्र बरेली जिला जेल में रचे जाने की पुष्टि हो गई। 24 फरवरी से छह मार्च बीत गया, लेकिन बरेली पुलिस से लेकर अफसर तक पूरे घटनाक्रम के बरेली से संबंध की बात से इन्कार करते रहे। यह तब था जब अशरफ के साले सद्दाम के बरेली के फाइक एनक्लेव के ठिकाने की पुष्टि हो गई।

गुर्गों के नाम उजागर हो गए, फुटेज तक सामने आ गई। इसके बावजूद पुलिस से लेकर अफसर तक हर दिन बरेली कनेक्शन से इन्कार करते रहे। शासन स्तर से अफसरों को फटकार लगी तब मामले में सात मार्च को प्राथमिकी लिखी गई, उसके बाद कार्रवाई शुरू हुई लेकिन, शूटरों को कार्रवाई से दूर रखा गया।

मामले में विधिक कार्रवाई प्रचलित है। जांच के दौरान जो भी तथ्य सामने आएंगे। उसके आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।