प्रयागराज: आज भले ही प्रयागराज के बचे-खुचे कुनबे के लिए कोई ठिकाना न बचा हो लेकिन उमेश पाल की हत्या तक अतीक की दहशत अनगिनत दहलीजों तक दस्तक देती रहती थी। बिल्डर और प्रापर्टी डीलर एक तरफ जहां माफिया से साठगांठ कर कमजोरों की जमीनों पर कब्जाकर अट्टालिकाएं तैयार करने में जुटे थे तो कुछ सफेदपोश माफिया को सह देने के भागीदार।

अब जबकि अतीक मार दिया गया है तो उसके दुर्दांत कारनामों पर लोग खुलकर बात करने लगे हैं। हर उस घटना पर बात होने लगी है जिसे लेकर जुबान दबी ही रहती थी।

जब मांगी थी पांच करोड़ की रंगदारी 

कोरोना के संक्रमण काल से उबरने के बाद दिसंबर माह में अतीक का बेटा अली गैंग के गुर्गों के साथ एक प्रापर्टी डीलर जीशान के घर पहुंचता है। असलहों से लैस बदमाशों से घिरने के बाद जीशान की घिघ्घी बंध जाती है। अली साबरमती जेल में बंद अपने अब्बा से वाट्सएप काल के माध्यम से जीशान की बात कराता है। अतीक उधर से दो टूक आदेश देता है कि अली को पांच करोड़ रुपये दे दो।

कभी अतीक का करीबी रहा जीशान उस दिन तो इन्कार नहीं करता है लेकिन बाद में हिम्मतकर इस रंगदारी को लेकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा देता है। अतीक के खिलाफ पहले भी हत्या से लेकर कब्जे, रंगदारी सहित कई केस दर्ज कराए जा चुके थे लेकिन अबकी नाफरमानी अपने ही करीबी से मिली थी और साथ ही बगावत भी।

सिस्टम पर हावी था अतीक का दबदबा

इससे पहले करीबी बिल्डर मोहित जायसवाल और प्रापर्टी डीलर जैद भी अपहरण और धमकी की रिपोर्ट दर्ज करा चुके थे। तब अतीक इस कदर सिस्टम पर हावी था कि उसे अपने खिलाफ आने वाली खबरों और दर्ज की जाने वाली एफआइआर उसकी जरायम के फलक पर जड़े जाने वाले सितारे सरीखे लगते थे।

यह अतीक गैंग की तरफ से खुलेआम की जाने वाली घटनाओं की बानगी ही थी, जो बताती है कि माफिया भले ही बरेली और बाद में 1300 किलोमीटर दूर गुजरात की जेल में था लेकिन उसका नेटवर्क प्रयागराज सहित समूचे प्रदेश में जस का तस सक्रिय था।

एक करोड़ की जमीन मात्र पांच लाख में लिखवा ली... 

अब जिक्र उस सैयद परिवार का भी हो रहा है जो मुंबई में कारोबार करता था और उसने करेली में एक जमीन ली थी। तब के सांसद अतीक ने एक करोड़ रुपये से अधिक की उस जमीन की पावर आफ अटार्नी जबरिया महज पांच लाख में अपने करीबी के नाम करा ली थी।

बिल्डर ने अतीक की मदद से लिखवा ली जमीन

ऐसा ही एक हालिया घटनाक्रम करीब आठ माह पूर्व का बताया जाता है जिसमें खुल्दाबाद क्षेत्र में भाइयों के विवाद से जुड़ी जमीन को एक बिल्डर ने अतीक की मदद से लिखवा लिया।

टपोरी हरकतों की भी चर्चाएं 

शहर के एक सभ्रांत तो अतीक के शुरुआती दिनों के उस टपोरी टाइप हरकतों का भी जिक्र करते हैं जबकि वे अपने बेटे को सिविल लाइंस की एक दुकान में जैकेट खरीदवा रहे थे और उसी वक्त अतीक आता है और एक टोपी बिना पैसा दिए ही लेकर चल देता है।

2020 से शुरू हुआ अतीक के सम्राज्य पर चोट का सिलसिला

उमेश पाल की हत्या के पहले तक शासन सत्ता का जितना भी शिकंजा कसा गया उससे सिर्फ और सिर्फ अतीक और उसके गुर्गों के आर्थिक साम्राज्य पर ही चोट पहुंच रही थी। यह चोट पहुंचाने का सिलसिला भी वर्ष 2020 के सितंबर माह से शुरू होता है।

सबसे पहले अतीक के साढ़ू का इमरान जई के तीन मंजिला अवैध मकान को ढहाया जाता है। उसके बाद अतीक का पुश्तैनी घर जमींदोज होता है और फिर उसके गुरुर चकिया स्थित कार्यालय को ढहा दिया जाता है। बीते तीन वर्षों में अतीक और उसके गुर्गों के 120 से अधिक भवनों पर बुलडोजर चल चुका है और 5600 बीघा जमीन पर की जा रही अवैध प्लाटिंग के खिलाफ कार्रवाई हुई है।