नई दिल्ली, गूगल ने अपनी पालिसी में बड़ा बदलाव करते हुए पर्सनल लोन आफर करने वाले एप्स पर लगाम लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। दरअसल, ये एप्स उपभोक्ताओं के फोटो, वीडियो, कांटैक्ट, लोकेशन और काल-लाग जैसी बेहद निजी जानकारियों में आसानी से सेंध लगा देते हैं।

पर्सनल लोन देनेवाले इस तरह के सभी एप, जो प्ले स्टोर पर मौजूद हैं, उन्हें 31 मई से गूगल ने प्रतिबंधित करने का फैसला किया है। साथ ही, गूगल ने कहा है कि प्ले स्टोर पर ऐसे एप्स को अनुमति नहीं मिलेगी, जो उपभोक्ताओं को भ्रामक और हानिकारक वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के बारे में जानकारी देते हैं। इस तरह के एप्स को पहले स्थानीय नियमों और कानूनों का अनिवार्य रूप से पालन सुनिश्चित करना होगा।

लोन एप्स का बढ़ता जाल

मध्यम आय वर्ग के बीच क्विक लेंडिंग यानी बिना जांच-पड़ताल के तुरंत लोन देने वाले एप्स बीते कुछ वर्षों से काफी लोकप्रिय हो गए हैं। चूंकि जरूरतमंदों को आसानी से कर्ज उपलब्ध हो जाता है और एप्स शुरुआत में ऋण चुकाने की आसान शर्तें रखते हैं, इसलिए लोग आसानी से उनके जाल में फंस जाते हैं। आफर का लालच देने के बाद ये एप्स ग्राहकों का उत्पीड़न शुरू कर देते हैं। इसके अलावा, इन एप्स से यूजर्स के डेटा और निजी जानकारियां भी दांव पर लगी होती हैं।

कैसे फंसाते हैं ये एप्स

लोन एप्स भले ही बहुत कम दस्तावेजों की मांग करते हैं, लेकिन वे उपभोक्ताओं से डीप परमिशन यानी काल-लाग्स, डिवाइस में सुरक्षित अन्य दस्तावेजों तक पहुंच की अनुमति मांगते हैं, जिसे उपभोक्ता आसानी से दे भी देते हैं। साथ ही, उपभोक्ता उनकी शर्तों पर भी गौर नहीं करते। समस्या की शुरुआत यही से होती है। इसके बाद री-पेमेंट में देरी होने पर रिकवरी एजेंट उपभोक्ताओं को परेशान करना शुरू कर देते हैं।

कई बार तो फोटो, पैन और आधार कार्ड बदलकर भी उपभोक्ताओं को परेशान किया जाता है। इस तरह अवैध डिजिटल लोन देने वाले एप्स को लेकर गूगल की भूमिका भी लंबे समय से सवालों के घेरे में रही है। इसे ध्यान में रखते हुए ही फाइनेंशियल सर्विसेज एप्स के लिए गूगल ने अब प्ले स्टोर डेवलपर प्रोग्राम पालिसी में बदलाव की घोषणा की है।

अपनाएं ये सुरक्षित तरीके

  • पहले सुनिश्चित करें कि लोन देने वाला एप नियामक संस्था के साथ पंजीकृत हो।
  • जांच लें कि उसकी फीस, कार्यप्रणाली और नीतियां पूरी तरह से पारदर्शी हैं या नहीं।
  • एप द्वारा आफर की जा रही ब्याज दरों के बारे में भी जरूरी जानकारी जुटाएं।
  • पता करें कि एप के पास कस्टमर हेल्पलाइन की व्यवस्था है या नहीं।