नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने इस बार 342 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है। इससे गेहूं के स्टाक तीन करोड़ टन से ज्यादा हो जाएगा। कोरोना की परेशानियों के बाद गेहूं का स्टाक पिछले छह वर्षों के दौरान सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।
सरकार ने गेहूं के भंडार को भरने का प्रयास किया तेज
जनवरी 2021 में भारतीय खाद्य निगम के स्टाक में लगभग 3.18 करोड़ टन से ज्यादा गेहूं था, जो इस वर्ष एक अप्रैल तक घटकर सौ लाख टन से नीचे पहुंच गया है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने अग्रिम उपायों के सहारे गेहूं के भंडार को भरने का प्रयास तेज कर दिया है। यह इसलिए भी आवश्यक है कि आशा के अनुरूप खरीद से महंगाई पर नियंत्रण पाने में सहायता मिल सकेगी।
केंद्र सरकार की ओर से किए गए कई उपाय
चालू वर्ष के प्रारंभ में गेहूं के मूल्य के आसमान छूने के चलते जब महंगाई में उछाल आने लगी तो केंद्र सरकार की ओर से कई उपाय किए गए। सबसे पहले गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया। साथ ही भारतीय खाद्य निगम के स्टाक से 50 लाख टन से ज्यादा गेहूं निकालकर समर्थन मूल्य पर खुले बाजार में छोटे कारोबारियों को उपलब्ध कराया गया। इससे मार्च अंतिम तक बफर स्टाक में भारी गिरावट आ गई।
गेहूं का भाव
स्टाक की मात्रा कम होकर मात्र 84 लाख टन तक पहुंच गई। बफर स्टाक की न्यूनतम सीमा 75 लाख है। यद्यपि इस प्रयास से बढ़ते मूल्यों पर एक सीमा तक नियंत्रण पाने में मदद मिल सकी। खुले बाजार में गेहूं उतारने से पहले जनवरी में गेहूं का भाव तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर था, किंतु जैसे ही सरकार ने घोषणा की वैसे ही गेहूं के भाव लगातार गिरने लगे थे। इसका असर अन्य खाद्य पदार्थों पर भी पड़ा।
इस वर्ष रिकार्ड 11.22 करोड़ टन हो सकता है गेहूं का उत्पादन
चुनावी वर्ष के दौरान भविष्य की जरूरतों को देखते हुए केंद्र सरकार इस बार गेहूं के भंडार को समृद्ध रखना चाहती है। कृषि मंत्रालय के दूसरे अनुमान के अनुसार इस वर्ष रिकार्ड 11.22 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हो सकता है। खरीद के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अभी से प्रयास तेज कर दिया गया है। असमय वर्षा और आंधी के चलते गेहूं की फसल को क्षति के पश्चात भी केंद्र का दावा है कि अनुमान से ज्यादा खरीद होगी।