तहसील कार्यालय की अब्यवस्थाओ से पत्रकारों में रोष
गुनौर-म प्र के मुख़्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भृस्टाचार मुक्त शासन ब्यवस्था कायम करने के लिए नित नए उपाय खोजते है लेकिन भृष्ट तंत्र के सामने मुख्यमन्त्री के सभी सूत्र विफल नजर आते है जैसा कि गुनौर तहसील में देखने मे आता है कि यहाँ कोई भी काम बिना दलालों के नही होता,दलालों के माध्यम से निर्धारित सेवाशुल्क सम्बंधित कर्मचारी अधिकारी के पास जब तक नही पहुंच जाती क्या मजाल की फाइलों में कोई एक कलम चला सके।बी पी एल कार्ड का निर्धारित रेट 5000रु कर दिया गया और इसी तरह अन्य कार्यो के लिए रेट निर्धारित है।शासकीय जमीनों की रखवाली करने वाला राजस्व विभाग का कार्यालय ही जब अतिक्रमण का शिकार हो जाये तो फिर इस विभाग के अधिकारियो से अतिक्रमण के खिलाफ कार्यवाही की उम्मीद करना बेमानी होगा।
गुनौर के तहसील कार्यालय में कोई पत्रकारिता की धौंस दिखाकर तो कोई नेतागिरी की धौंस दिखाकर अतिक्रमण कर बैठा है,बगैर अनुमति के रखे गए ठेला गुमटियों को हटाने की हिमाकत राजस्व अमला नही कर पा रहा है।आमजन के जहन में यह एक गंभीर सवाल है कि आखिर तहसील कार्यालय के अंदर जबरदस्ती किये गए अतिक्रमण के सामने राजस्व विभाग क्यो नतमस्तक है?
तहसील कार्यालय में दलालों की भरमार से अब्यवस्थाओ का आलम होने और तहसील कार्यालय के अंदर ब्याप्त बेजा अतिक्रमण से कुपित गुनौर के कलमकारों के संगठन पत्रकार कल्याण परिषद के बैनर तले एकत्र होकर सभी क्षेत्रीय पत्रकारों ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के नाम ज्ञापन सौंपते हुए दलालों एवं अतिक्रमण को हटाने की अपील की है।