बता दें कि उमरिया जिले में महज एक साल पहले तक जो आटा 28 रुपये में मिल रहा था, वह अब 38 रुपये तथा 26 वाला गेहूं 36 रुपये प्रति किलो हो गया है। वहीं मीडियम क्वालिटी का चावल भी 40 से 48 रुपये पर जा पहुंचा है। एक परेशान ये भी है कि पिछले कई महीनों से राशन की दुकानों से गरीब परिवारों को गेहूं नहीं मिल रहा है। बताया गया है कि लोग उचित मूल्य की दुकानों से मिला मुफ्त चावल बेच कर गेहूं खरीद रहे हैं। जिसके लिए उन्हें अपनी जेब का पैसा खर्च करना पड़ रहा है।
उमरिया जिले के नौकरीपेशा लोगों का कहना है कि सारी सैलरी तो अब राशन, दूध, सब्जी और सिलेंडर पर ही खर्च हो जाती है। मकान का किराया बिजली-पानी बिल या बच्चों की स्कूल फीस तो अलग है। 2016 में 10-20 हजार के वेतन में पूरा घर आसानी से चल जाता था, ऐसे लोगों को इतनी रकम से किचन चलाना भी मुश्किल हो रहा है। वर्तमान में पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम स्थिर हैं। फिर भी दैनिक उपयोग की वस्तुएं महंगी होती जा रही हैं। बीते पांच साल में रसोई का बजट दोगुना हो गया है। लेकिन जनता की आमदनी में इतना इजाफा नहीं हुआ है।
कारोबार जगत के लोगों के मुताबिक कच्चे माल में तेजी के कारण महंगाई लगातार बढ़ रही है। हालांकि कुछ कंपनियों ने वस्तुओं का वजन कम कर दिया है, लेकिन सामान महंगा नहीं किया है। इससे जनता को दोहरा नुकसान है। उधर कंपनियों ने डिस्ट्रीब्यूटरों का मार्जिन भी एक से डेढ़ फीसदी कम कर दिया है। ताकि प्रॉफिट मार्जिन के स्तर को बनाया रखा जा सके। बताया गया है कि जनवरी मे उपभोक्ता वस्तुओं मे 1 से 20 प्रतिशत तक की तेजी आई है।