मनुष्य सब प्राणियों में श्रेष्ठ है। अन्य प्राणी जिस परिस्थिति में होते हैं, उसी में ही पड़े रहते मनुष्य उसमें ही पड़ा रहना नहीं चाहेगा। भगवान उसे इस योग्य बनाया है कि वह उस स्थिति को अस्वीकार कर दें।