भोपाल: मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार बुधवार को विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी। शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कांग्रेस को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए सहमति दे दी। इसके बाद से ही सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस अपने अलग-अलग दावे कर रहे हैं। कांग्रेस ने 51 मुद्दों पर करीब 104 पन्ने का आरोप पत्र तैयार किया है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष को यह आरोप पत्र सौंपा है। इस अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस जहां भाजपा सरकार को पूरी तरह गिराने के मूड में दिख रही है, वहीं भाजपा सरकार भी निश्चिंत नजर आ रही है।

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वर्तमान 230 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 127 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 96 विधायक हैं। कांग्रेस के एक विधायक केपी सिंह बीमार होने और दूसरे विधायक उमंग सिंगार दुष्कर्म के आरोप पर फरार चल रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के पास सिर्फ 94 सदस्य ही बचे हैं। चार निर्दलीय, बहुजन समाज पार्टी के दो और समाजवादी पार्टी के एक विधायक किस का पक्ष लेंगे यह तो सदन में वोटिंग के दौरान ही पता चलेगा। फिलहाल बीजेपी मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है।

अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस युवाओं के मुद्दों को सरकार को घेरेगी। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन भर्ती बोर्ड की परीक्षाओं में भ्रष्टाचार, किसानों की कर्ज माफी में मनमानी, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% का आरक्षण ना देना, भ्रष्टाचार में घिरे अधिकारी, कर्मचारियों की की अभियोजन स्वीकृति न देना, कोरोना काल में लापरवाही से हुई मौतों, ऑक्सीजन की कमी, अवैध खनन, सरकारी कॉलेजों में रिक्त पद, कॉलेजों, यूनिवर्सिटी में 4 साल से छात्र संघ चुनाव न होना, प्रदेश की बिजली दूसरे राज्यों को बेचना, मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना में राज्य सरकार का अंशदान कम करके छोटे किसानों पर भार बढ़ाना, पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश न देना, पीएम आवास योजना में फर्जीवाड़ा नर्सिंग कॉलेज में कथित फर्जीवाड़ा, मान्यता में भ्रष्टाचार, फर्जी डिग्रियां, 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एनपीएस का पैसा कर्मचारियों के खातों में जमा न कराने जैसे कई मुद्दे अविश्वास प्रस्ताव में रखे जाएंगे।