दिवाली के त्योहार से पहले दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) की हवा लगातार बिगड़ रही है. बीते 24 घंटे में भी एनसीआर ( NCR) के लगभग सभी शहरों के साथ दिल्ली की हवा काफी खराब श्रेणी में दर्ज की गई. आज सुबह राजधानी का ओवरआल AQI PM 2.5 के साथ 309 पर दर्ज किया गया. दिल्ली में हर वर्ष की तरह इस साल भी पटाखे तो बैन है लेकिन बावजूद इसके पराली से होने वाले प्रदूषण ने चिंता बढ़ा दी है. देश से दक्षिण पश्चिम मानसून की विदाई होते ही अब ठंड ने दस्तक दे दी है और ठंड के दस्तक देते ही देश के कई राज्यों में प्रदूषण भी बढ़ने लगा है. दिवाली के त्योहार से पहले ही दिल्ली एनसीआर में तो हवा लगातार बिगड़ रही है. आज सुबह भी राजधानी का ओवरआल AQI PM 2.5 के साथ 309 पर दर्ज किया गया. जो तीन दिन पहले बारिश के कारण 97 दर्ज किया जा रहा था.
वहीं पिछले 24 घंटे में राजधानी का सबसे प्रदूषित इलाका आनंद विहार रहा. यहां आज सुबह के वक्त AQI 381 दर्ज किया गया. इसके अलावा बवाना 345 एवरेज AQI के साथ रहा. इसके बाद दिल्ली एयरपोर्ट भी 311 AQI के साथ प्रदूषित इलाकों में दर्ज किया गया. वहीं एनसीआर के शहरों में भी प्रदूषण खराब वर्ग में जाने लगा है. सुबह के समय नोएडा में आज pm 2.5- 283 के साथ खराब और गुरुग्राम में pm 2.5-290 के साथ खराब श्रेणी में दर्ज किया गया है
दरअसल हर साल की तरह भी दिल्ली के पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान मैं पराली जलने की घटनाएं शुरू हो गई हैं. जिसकी वजह से राजधानी और एनसीआर के शहरों का प्रदूषण खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है. फिलहाल राजधानी दिल्ली में दिवाली के त्योहार को देखते हुए दिल्ली सरकार ने पटाखों पर बैन लगा रखा है लेकिन बावजूद इसके राजधानी दिल्ली की हवा आखिर क्यों खराब हो रही है. इसका पर्यावरणविदों ने पराली को बताया है.
दरअसल इसी सप्ताह ही दिल्ली एनसीआर में बारिश का दौर थमा है, जिसके बाद से ही दिल्ली-एनसीआर की हवा ज्यादा बिगड़ना शुरू हुई है. यही कारण है कि पिछले करीब 2 से 3 दिनों में दिल्ली-एनसीआर का एक्यूआई संतोषजनक श्रेणी से निकलकर खराब में दर्ज हुआ है. इसके अलावा सीपीसीबी यानी सेंट्रल पॉल्यूशन फ़ॉर कंट्रोल बोर्ड ने भी आज और कल के लिए दिल्ली में हवा के जहरीली होने का अनुमान जताया है.
वहीं राजधानी दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस में जहां बीते साल प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने देश के पहले स्मॉग टावर को इंस्टॉल किया था ताकि आने वाले समय में प्रदूषण से होने वाली समस्याओं से लोगों को कुछ हद तक राहत मिल सके. हालांकि आज सुबह जब हमारी टीम इसके पास ये जानने पंहुची कि ये कितना प्रदूषण कंट्रोल कर रहा है तो ये आज सुबह बन्द था.
केंद्र सरकार ने भी दिल्ली के आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के पास पिछले साल ही देश का दूसरा स्मॉग टावर इंस्टॉल किया था, मकसद था इस इलाके में हो रहे गंभीर प्रदूषण को कम करना लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ठंड में हवा में नमी होने की वजह से पराली का धुंआ ऊपर नहीं जा पाता है, जिसकी वजह से फॉग बन जाता है और यही प्रदूषण बंद कर जहरीला बन जाता है. प्रदूषण को नापने के लिए ये 6 मेजर कंपोनेंट्स होते हैं और यही वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले हानिकारक रसायन होते हैं. इनमें एल्युमिनियम, बैरियम, पौटेशियम नाइट्रेट और कार्बन का प्रयोग किया जाता है.
पर्यावरणविद मनु सिंह के अनुसार, इन पटाखों के बजाय ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि उनमें यह हानिकारक रसायन बिल्कुल नहीं होते है. ग्रीन पटाखे राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (NEERI) की खोज हैं और ये आवाज से लेकर दिखने तक में पारंपरिक पटाखों जैसे ही होते हैं, लेकिन इनको जलाने पर प्रदूषण काफी कम होता है और ये सामान्य पटाखों की तुलना में 40 से 50 फीसदी तक कम हानिकारक गैस पैदा करते हैं.
हालांकि मौसम विभाग और मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज के सरकारी एप्लीकेशन सफर ऐप के मुताबिक आज शाम से और कल का पूरा दिन और ज्यादा क्रूशुअल होने वाला है. आज शाम पराली का धुआं और स्थानीय स्तर पर होने वाला प्रदूषण हवा बिगाड़ने में अहम कारक बन रहा है. यही कारण है कि दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोगों की मुसीबतें बढ़ गई है.
ये चिंता की बात है कि दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने लगा है लेकिन यह भी राहत की बात है कि अक्टूबर के शुरुआती 10 दिनों में पोलूशन संतोषजनक श्रेणी में दर्ज किया गया था . सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 7 सालों में ऐसा सिर्फ पिछले साल हुआ था कि अक्टूबर महीने के शुरुआती 14 दिनों में राजधानी दिल्ली की आबोहवा इतनी साफ रही हो. हालांकि उसका कारण मानसून का लेट जाना भी था लेकिन इस साल मॉनसून लगभग देश के ज़्यादातर हिस्सों से चला गया है. जिसकी वजह से पराली जलाने की घटनाएं दिल्ली के पड़ोसी के राज्यों में ज्यादा होने लगेंगी .
सीपीसीबी के डेटा के मुताबिक, अक्टूबर में सबसे जल्दी प्रदूषण 2017 में शुरू हुआ था. उस साल यह 4 अक्टूबर को ही खराब स्थिति में पहुंच गया था और फिर 17 अक्टूबर तक बेहद खराब स्थिति में आ गया था. 2021 को छोड़ दें तो 2015 से 2020 तक सबसे लेट प्रदूषण 2016 में शुरू हुआ. 2016 में 11 अक्टूबर को प्रदूषण खराब स्थिति में पहुंचा और 18 अक्टूबर तक यह बेहद खराब स्थिति में पहुंच गया था. फिलहाल पिछले दिनों हुई बारिश की वजह से दिल्लीवासियों को कुछ हद तक प्रदूषण से राहत मिली है लेकिन आने वाले 2 से 3 महीने दिल्ली एनसीआर के लोगों के लिए मुसीबत भरे साबित हो सकते हैं
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