देश के हवाई क्षेत्र की निगरानी को लेकर ड्रोन तैनात किए गए हैं. इसी तर्ज पर जलक्षेत्र की निगारानी को लेकर अब मानवरहित बोट (Unmanned boat) को लाने की तैयारी हो रही है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानि डीआरडीओ (DRDO) इस कोशिश में जुटा हुआ है. बुधवार को इस तरह की तीन नावों का सफल परीक्षण किया गया. डीआरडीओ के अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के संयुक्त डायरेक्टर पीएम नाइक ( PM Naik) के अनुसार, इस नाव को बिना किसी इंसान के नियंत्रित किया जा सकता है. इस बोट काे वीडिया फीड के माध्यम से कंट्रोल किया जाएगा. इससे दुश्मन की गतिविधियों का पता लगाया जा सकता है.
पेट्रोलिंग के लिए यह नाव उपयोगी है. यह बोट हथियारों से लैस है. नाइक का कहना है कि इस नाव का शुरुआती परीक्षण हम भामा आसखेड बांध के पास कर रहे हैं. इस बोट का अभी तक कोई नाम नहीं रखा गया है. इसे दूर से बैठे कंट्रोल किया जा सकता है. अभी तक यह तय नहीं हो सका है कि इसे कब इंडियन नेवी या कोस्ट गार्ड को सौंपा जाएगा.
बोट का मूवमेंट इलेक्ट्रिक और मोटर इंजन के जरिए होता है. यह एक बार में 24 घंटे तक लगातार पानी में रहकर पेट्रोलिंग कर सकती है. इस नाव को दुश्मनों की पकड़ से बचाने के लिए विशेष तकनीक का उपयोग किया गया है. अगर कभी भी बोट को दुश्मन हथिया लेता है तो नाव के अंदर मौजूद कंट्रोल बोर्ड अपने आप ही तबाह हो जाएगा. इस तरह से कोई भी सीक्रेट या खास जानकारी दुश्मनों तक नहीं पहुंच पाएगी.
इस बोट के माध्यम से समुद्री सीमा में हलचल मचाने वाले दुश्मनों का खात्मा आसानी से हो सकेगा. यह काम कंट्रोल रूम में बैठ-बैठे हो जाएगा. बोट में लगे सेंसर सिस्टम सोनार और रडार की सहायता से ये माइंस को खोजने में काम आ सकती है. यह पूरी तरह से देश में निर्मित है. इसे सागर डिफेंस इंजीनियरिंग नाम की कंपनी ने मिलकर तैयार किया है.
बोट की क्या है खासियत
1. मानवरहित बोट में सर्विलांस कैमरा लगा होगा. यह हथियारों से लैस होगी. इसे रिमोट कंट्रोल या सैटेलाइट माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है.
2. इस बोट के जरिए एक किलोमीटर के दायरे की निगरानी आसानी से की जा सकती है. सारे दृश्य कंट्रोल रूम से लाइव देखे जा सकते हैं.
3. कंट्रोल रूम में दुश्मन का पता लगने पर, नाव के जरिए हमला किया जा सकता है. कंट्रोल रूम से ही दुश्मनों का खात्मा किया जा सकता है.
4. ड्रोन की तरह ये प्रोजेक्ट काफी अहम है. डीआरडीओ इस पर काफी समय से काम कर रहा है. इसके जरिए भारत की समुद्री सीमा को सख्त निगारानी के अंदर रखा जाएगा. तकनीक के लिहाज से देखा जाए तो यह आसानी से किसी दुश्मन से टक्कर ले सकती है.