रोहा क्षैत्र के अंतर्गत विभिन्न क्षैत्रों में भी विभिन्न पुजा पंडालों में समितियों द्वारा मातारानी दरबार की तैयारी अंतिम चरण में होने के साथ ही आगामी एक अक्टूबर शनिवार को महाषष्ठी कलश स्थापन के साथ पांच दिवशीय दुर्गोत्सव का शुभारंभ होगा।
रोहा क्षैत्र के अंतर्गत रोहा नगर में ज्योति संघ,रोहा पुरानीचारिआली दुर्गोत्सव समिति, रोहा बाजार सार्वजनीन दुर्गोत्सव समिति और रोहा हिंदुस्तानी शिव मंदिर प्रांगण में रोहा रहदै बारोबारी युवा मंच सहित चार दुर्गोत्सव समितियों सहित चापरमुख में नौ,बारहपुजीया में एक,खरियतुली में एक,दिघलदरी में एक,बामुनिजान में एक,आमसोई में तिन,फुलोगुडी में एक और खेंदुरीया में एक सहित कुल तैईस पुजा पंडालों में दुर्गोत्सव की तैयारियां अंतिम चरण में होने के साथ ही आगामी एक अक्टूबर को महाषष्ठी कलश स्थापना के साथ शारदीय दुर्गोत्सव का शुभारंभ हो जायेगा।वर्ष १९८८में स्थापित रोहा ज्योति संघ दुर्गोत्सव समिति द्वारा अपना पैंतीस वां दुर्गोत्सव मनाने की तैयारी करने के साथ ही ज्योति संघ द्वारा प्रत्येक वर्ष अलग अलग थीम जैसे लोटस टेंपल, कामाख्या मंदिर, पाहाड,गुफा थीम पर मातारानी का दरबार श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करते आने के क्रमःमें ईसबार ज्योति संघ द्वारा दो बार आये प्रलंयकारी बाढ से जनता को हुई परेशानियों को दर्शाने के लिए बाढपानी के दुश्य की तैयारी करने के साथ ही जिसमें पाहाडों से झरने बहते हुवे, बाढपानी में घर डुबे हुवे और भुकटाव के दृश्यों को दर्शाया जायेगा।जिसका निर्माण शिल्पी भगवान सेनापति कर रहे है।साथ ही ज्योति संघ दुर्गोत्सव द्वारा सप्तमी, अष्टमी और नवमी को दिहानाम का आयोजन किया जायेगा।रोहा रहदै बारोबारी युवा मंच द्वारा पन्द्रह वां दुर्गोत्सव की तैयारी जोरशोर से करने के साथ ही सप्तमी, अष्टमी और नवमी को आमंत्रित नामपार्टीयों द्वारा नामकीर्तन का आयोजन किया जायेगा।ठिक उसी तरह रोहा पुरानीचारिआली दुर्गोत्सव समिति ईसबार अपना चौबीस वां दुर्गोत्सव श्रद्धापूर्वक मनाने की तैयारी करने के साथ ही अष्टमी और नवमी नाम प्रसंग का आयोजन करेगी।रोहा बाजार सार्वजनीन दुर्गोत्सव उद्जापन समिति भी अष्टमी और नवमी को आमंत्रित नामती दल द्वारा नामकीर्तन का आयोजन करेगी।दुसरी और चापरमुख मारवाडी पट्टी दुर्गोत्सव समिति के सचिव विकास अग्रवाला ने बताया की भी दुर्गोत्सव की तैयारी जोरशोर से करने के साथ ही अष्टमी और नवमी को नगांव से आमंत्रित कंठशिल्पीयों द्वारा भजनों की गंगा बहाई जायेगी।दुर्गोत्सव के अंतिम दिन दशमी को प्रातःदशमी विहित पुजा,अपराजीता(रक्षासूत्र)धारन के पस्चात सांय को गाजेबाजे के साथ शोभायात्रा निकालते हुवे देवी प्रतिमा का विसर्जन कर पांच दिवशीय दुर्गोत्सव का समापन किया जायेगा।