आगरा: डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय में रोजाना नए-नए कारनामे उजागर होते रहते हैं। तमाम जांचें चलने के बावजूद कोई असर नहीं पड़ रहा है। नया मामला हैरान कर देने वाला सामने आया है। फर्जीवाड़े में जेल गए कर्मचारी को बीकॉम और बीएससी विभाग का प्रभारी बना दिया गया है। इस कर्मचारी को एसआईटी ने अभी तक के सबसे बड़े फर्जीवाड़े में जेल भेजा था। विशेष सूत्रों का कहना है कि पुलिस अधिकारियों और एसटीएफ के संज्ञान में यह मामला पहुंच गया है। वह भी यहां के सिस्टम को देखकर हैरान हो गए हैं।
B.Ed 2005 फर्जीवाड़े की हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग में एसआईटी ने जांच की थी। कई बाबुओं को एसआईटी ने जेल भेजा था। पुलिस अधिकारियों और एसटीएफ के संज्ञान में आया है कि फर्जी वेरिफिकेशन भेजने के मामले में सत्येंद्र कुमार उर्फ लल्लू भी जेल गया था। अभी वह जमानत पर बाहर है। परीक्षा नियंत्रक ने उसे बीएससी और बीकॉम के विभागों का प्रभारी बना दिया है। फर्जीवाड़े में जेल गए कर्मचारी को उन्होंने इतना अहम पद कैसे दे दिया? यह जानकर पुलिस और एसटीएफ भी हैरान हैं। एक और बात से अधिकारी हैरान हैं कि फर्जीवाड़े में जेल गए देवेंद्र से भी यूनिवर्सिटी क्यों गोपनीय काम करा रही थी? बीएएमएस की कॉपी बदलने के मामले में तो मुख्यमंत्री ने एसटीएफ जांच भी बैठा दी है। जेल गए कर्मचारी को विभाग प्रभारी बनाए जाने के मामले में एसटीएफ और पुलिस अधिकारी भी उनसे पूछताछ कर सकते हैं। एसटीएफ विश्वविद्यालय के सभी मामलों की जांच करेगी। वह विश्वविद्यालय में ही कैंप करेगी। मुख्यमंत्री ने यहां बिल्कुल सफाई करने के निर्देश दिए हैं। उम्मीद की जा रही है कि एसटीएफ के द्वारा जिन बिंदुओं पर जांच की जायेगी उनमें बिना नक्शा पास कराए 40 करोड़ की बिल्डिंग खड़ी कर देने, बिना टेंडर के लाखों रुपए के काम दिए जाने, एक ही मैनेजमेंट के कॉलेजों को केंद्र बनाए जाने, कॉलेजों में फर्नीचर नहीं होने पर भी केंद्र बनाए जाने, B.Ed के कई सत्रों के फर्जीवाड़े, विज्ञापन पर भारी खर्च किए जाने, मानक पूरे नहीं करने वाले कॉलेजों को भी केंद्र बनाए जाने, जेल गए कर्मचारियों को नियुक्ति दिए जाने आदि मामले भी शामिल होंगे। एसटीएफ पूरे मामले की जड़ तक जांच करेगी। एसटीएफ को जांच करता देख अधिकारियों की भी हालत पतली है। पूर्व में कई अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे भी लिखे गए हैं। इनमें पूर्व कुलपतियों सहित कई अन्य अधिकारी और प्रोफेसर भी शामिल हैं। दो कुलपतियों की भ्रष्टाचार के मामले में विजिलेंस जांच चल रही है।
इधर जेल गए बाबू को प्रभारी बनाए जाने पर कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह का कहना है कि वह परीक्षा नियंत्रक से इस मामले में बात करेंगे। आखिर इसे प्रभारी कैसे बना दिया गया पूछेंगे। मामले का परीक्षण कर निराकरण किया जाएगा।