ये किसी भी क्लास में नहीं पढ़ाया जाता है कि, कैसे बोलना चाहिए। लेकिन जिस प्रकार से हम बोलते हैं, वह तय कर देता है कि हम किस क्लास के हैं! हमारे गुरुजी बताया करते थे कि रिश्तो की पाठशाला अगर बनाई रखनी है, तो लेन-देन का विषय कमजोर होना बहुत जरूरी है, सकारात्मकता बनाए रखे!
जब हम ये कहते हैं कि हमारे पासस मय नहीं है, यह इसलिए है।क्योंकि हमारे पास योजना और समय प्रबंधन की कमी होती है
यह समझना महत्वपूर्ण है कि जब हम इस विचार को लाते हैं कि हमारे पास सेवा करने या अपने व्यक्तिगत या आध्यात्मिक विकास के लिए समय नहीं है, तो इसका मतलब है कि हम उच्च शिक्षाओं और हमें जो पेशकश की जा रही है, उसे महत्व न दें। उचित समय प्रबंधन और योजना के साथ हम एक चौथाई समय में सभी दैनिक कार्य कर सकते हैं और अभी भी आध्यात्मिक और व्यक्तिगत विकास के लिए समय निकाल सकते हैं। यह सब इरादे के बारे में है। हमें चीजों को प्राथमिकता देना सीखना चाहिए! समय का ठीक से प्रबंधन कर हम सफलताओं को छू सकते है। तो चलिए जुट जाइये इस कार्य पर!