रुड़की (उत्तराखंड) : साबिर पाक जिनको बाबा फरीद ने हुक्म किया के मेरा लंगर बांटते रहो आप 12 साल लंगर बांटते रहे, लेकिन खुद कुछ भी नहीं खाया। 12 साल बाद जब बाबा फरीद ने आपको पूछा कि आपने खुद लंगर क्यूँ नहीं खाया..? तो साबिर पाक ने कहा मामू आपने मुझे सिर्फ़ बांटने को कहा अपने ये कब कहा के खा भी लेना। आपका जवाब सुनकर बाबा फरीद हैरान रह गए। आपका ये सब्र देखके बाबा फरीद ने आपका नाम साबिर रखा। तब से आप पूरी दुनिया मे साबिर के नाम से मशहूर है।
कौन है साबिर पाक...
कलियर के वीरान जंगलो मे 100 साल तक जिनकी मज़ार सिर्फ अकेली थी। कोई भी 12-12 कोस दूर तक वहा दाखिल नहीं हो सकता था। इंसान की तो बात छोड़िए कोई जंगली जानवर अगर ग़लती से वहा दाखिल हो गया तो उसी वक़्त फना हो जाता था। 100 साल बाद गंगोह के पीर अब्दुल क़ुद् दुस आए वो भी आपके जलाल की गिरफ्त मे आ गए, लेकिन वो आपसे गुजारिश करके अन्दर दाखिल हुए और आपसे इल्तीजा की कि हजरत आप ख़ुदा के मेहबूब है, अगर आप जलाल छोड़कर जमाल मे आए तो आपके फैज़ ओ करम से पूरी दुनिया फ़ैज़ पा सकती है। आपकी बार बार इल्तिजा करने से साबिर पाक आपकी इलतीजा क़बूल करते है। और ये कलियर शरीफ वही जगह है।