कोयला खनन लीज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने बुधवार को केंद्र पर उसके लापरवाह और ढीले रवैये के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसके कारण 1997 में मध्यप्रदेश में निजी कंपनी बीएलए इंडस्ट्रीज को दिए गए कोयला ब्लॉक को रद्द कर दिया गया था।शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि केंद्रीय कोयला मंत्रालय निजी कंपनी की तरफ से खदान से निकाले गए कोयले पर अतिरिक्त शुल्क के भुगतान के दावे की हकदार नहीं था। न्यायालय ने कहा कि केंद्र के इस प्रकार के दावे को खारिज किया जाता है। शीर्ष अदालत ने मामले में केंद्र को कानूनी खर्च के रूप में कंपनी को चार सप्ताह के भीतर एक लाख रुपये देने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायाधीश कृष्ण मुरारी तथा न्यायाधीश हिमा कोहली की पीठ ने बीएलए इंडस्ट्रीज से संबंधित मामले के पूरे घटनाक्रम का उल्लेख किया। न्यायालय ने कहा, हम प्रतिवादी के आचरण के संबंध में टिप्पणियां करने के लिए विवश हैं।
यह एक ऐसा मामला है जहां एक निजी कंपनी ने कामकाज शुरू करने के लिए बड़ी राशि निवेश करने से पहले सभी नियमों और कानूनों का पालन किया। जबकि दूसरी तरफ मामले के तथ्यों को देखने से ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने कानून का पूरी तरह से पालन नहीं किया।
केंद्र के लापरवाह रुख से निजी कंपनी का नुकसान
पीठ ने कहा कि निजी कंपनी को केंद्र के लापरवाह और अड़ियल रुख के कारण नुकसान उठाना पड़ा। न्यायालय ने कहा, इतना ही नहीं याचिकाकर्ता की समस्याओं को बढ़ाने के लिए प्रतिवादी ने इस अदालत के समक्ष हलफनामा दायर किया। इसमें याचिकाकर्ता को अनुचित व्यवहार करने वाले खान मालिकों की श्रेणी में रखने की बात कही गई।
जमानत के बावजूद जेल में बंद आरोपी सुप्रीम कोर्ट ने 75 लाख की शर्त हटाई
सुप्रीम कोर्ट ने धोखाधड़ी व फर्जीवाड़े के मामले में जमानत मिलने के बावजूद जेल में बंद आरोपी को बड़ी राहत देते हुए 75 लाख रुपये की जमानत राशि वाली शर्त खत्म कर दी। आरोपी को चार साल पहले ही जमानत मिल गई थी लेकिन जमानत राशि जमा नहीं कर पाने के कारण उसे रिहा नहीं किया जा सका था। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ को आरोपी हर्ष देव ठाकुर के वकील नमित सक्सेना ने बताया कि उनका मुवक्किल बीते चार साल में 75 लाख रुपये की जमानत राशि जमा नहीं कर सका है। इसके बाद पीठ ने आरोपी को राहत देते हुए उसकी जमानत की शर्त संख्या 7(ए) को खत्म कर दिया।
एनआरआई के मताधिकारों पर केंद्र और चुनाव आयोग से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने देश के चुनावों में अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के लिए मतदान के अधिकार की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने केरल प्रवासी एसोसिएशन द्वारा दायर जनहित याचिका का संज्ञान लिया, जिसमें मांग की गई थी कि अनिवासी भारतीयों को मतदान का अधिकार दिया जाए।
सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा मामलों को हटाए जाने पर किया गौर
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमण ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा मामलों को सूची से हटाए जाने की शिकायत पर गौर किया। वरिष्ठ अधिवक्ता और एससीबीए के अध्यक्ष दुष्यंत दवे की ओर से सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के कामकाज का मुद्दा उठाया गया था। अधिवक्ता दवे ने सीजेआई के नेतृत्व वाली पीठ से कहा, हमने कल रात आठ बजे तक ब्रीफ पढ़ी। हमारे कई सम्मेलन भी थे और फिर उस मामले को सूची से हटा लिया गया। यह गलत है... रजिस्ट्री के इस अभ्यास को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। सीजेआई ने कहा, ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर मैं ध्यान देना चाहता हूं लेकिन मैं कार्यालय छोड़ने से पहले कुछ भी नहीं देखना चाहता। मैं अपने विदाई भाषण में इन सब के बारे में बोलूंगा। इसलिए कृपया प्रतीक्षा करें।
रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट बुधवार को रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई को राजी हो गया है। जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ इस पर सुनवाई करेगी। भाजपा के नेता सुब्रह्मण्य स्वामी ने याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए सीजेआई रमण की पीठ से अनुरोध किया था।हरिद्वार धर्म संसद केस : जितेंद्र की अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाई
सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार धर्म संसद में मुसलमानों के खिलाफ कथित भड़काऊ भाषण देने के मामले में आरोपी जितेंद्र नारायण त्यागी को दी गई अंतरिम जमानत अवधि बढ़ा दी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने त्यागी की अंतरिम जमानत की अवधि 22 अगस्त तक बढ़ा दी।