तीन नदियाँ सूख गई दो की हालत खराब।
जनपद जौनपुर में,विश्व पर्यावरण दिवस पर जिले भर में,पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई गई। लोगों ने पर्यावरण को बचाने का संकल्प भी लिया।लेकिन जनपद जौनपुर में,सूख रही नदियाें का हाल कोई पूछने वाला नहीं है। पांच में,से तीन नदियां सूख गई हैं। बच गई दो अन्य की भी हालत खराब है।बताते चले कि जनपद जौनपुर की पांच प्रमुख नदियों में, पीली, बसुही, वरुणा, गोमती और सई हैं। इनमें से पीली, बसुही और वरुणा सूख चुकी हैं। इन नदियों में,न तो पानी है।और न ही प्रवाह। यह स्थिति 10 वर्ष से अधिक समय से बनी हुई है। इससे न केवल जलसंकट बढ़ा है, बल्कि आस-पास की जैव विविधता भी खतरे में,पड़ गया है।
गोमती और सई नदी गर्मी आते ही जगह-जगह सूखने लगती है।और अभी थोड़ी मात्रा में पानी बचा है, लेकिन इनकी स्थिति भी बेहद चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुकी है। सीवर लाइन बिछने के बाद नदियों में गिरने वाले नालों को टैब करने के बावजूद नदियों में गंदा पानी बह रहा है। स्थानीय प्रशासन और जिम्मेदार विभागों की ओर से न तो इन दियों की सफाई के लिए।ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। न ही प्रदूषण रोकने के लिए कोई प्रभावी नीति लागू की जा रही है। नदियों के तटों पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण ने भी इनके अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया है।मड़ियाहूं : तालाब पोखरे सूखने के बाद अब नदियां भी सूखने लगी हैं। बसुही नदी की तलहटी सूख चुकी है। नदी सूख जाने से वन्य जीवों, पशु पक्षियों को पानी पीने का संकट पैदा हो गया है। हालांकि सरकार की ओर से जगह-जगह नदी पर चेक डैम बनाकर पानी को रोकने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन यह प्रयास नाकाफी है। नदी के दोनों किनारों पर पेड़ लगवाकर वर्षा का जल संचयन कर नदियों का अस्तित्व बचाया जा सकता है।इसी क्रम में तहसील बदलापुर से होकर बहने वाली पीली नदी अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। 10 साल पहले कल-कल कर बहने वाली इस नदी में,अब सिर्फ बरसात में ही पानी दिखता है। शेष महीनों में धूल उड़ती है। इससे तटवर्ती गांवों में, जलस्तर सही नहीं है तो पशु पक्षी बेहाल हैं। पूर्व में जगह-जगह जल संरक्षण के लिए डैम बनाया गया था, लेकिन इससे भी अब कोई लाभ नहीं है।प्रदूषण से नदी का पानी काला और हरा दिख रहा है, तहसील केराकत विकास खंड मुफ्तीगंज के कटहरी गाँव पठखौली, विजयीपुर गोमती नदी तथा थाना जलालपुर मई में, ही सई नदी सूखने लगी है। प्रदूषण के चलते नदी का पानी काला और हरा हो गया है। पानी सूखने के कारण नदी नाले जैसी दिखने लगी है। प्रमुख नदियों में शुमार सई के पानी की धारा ठहर गई। उसमें रेत उड़ रही है। जगह-जगह गड्ढों में पानी जरूर बचा है पर वह इतना काला है कि उसे मवेशी भी नहीं पी रहे हैं। हरदोई जिले से निकलने वाली सई नदी प्रतापगढ़ की सीमा से लगे बालामऊ गांव से जनपद जौनपुर में,प्रवेश करती है। वहां से सुजानगंज, बक्शा, सिकरारा, सिरकोनी और जलालपुर के मनहन, बिबनमऊ, जलालपुर कस्बा, लालपुर, तालामझवारा, उदपुर होते हुए सरकोनी ब्लॉक के राजेपुर त्रिमुहानी विजयीपुर पठखौली, कटहरी, केवटी बीरमपुर के पास गोमती नदी में,मिल जाती है।जनपद जौनपुर में,यह नदी करीब 70 किलोमीटर की दूरी तय करती है। कभी क्षेत्र के लिए, जीवनदायिनी रही यह नदी अब सूखने लगी है। बिबनमऊ गांव के प्रधान , तालामझवारा के प्रधान भैयालाल सरोज चौबे,बिबनमऊ गांव निवासी लालबहादुर यादव पूर्व प्रधान सेहमलपुर प्रधान टुनटुन यादव, पूर्व प्रधान रेणुका विजय सिंह आदि का कहना है कि नदी के किनारे जंगली जानवरों और पालतू पशुओं के लिए। पेयजल का संकट खड़ा हो गया है।इस मामले में, जिलाधिकारी श्री डॉ0 दिनेश चंद,ने बताए कि जिले में पांच नदियां हैं, इसमें से भी कोई नदी ग्लैसियर से नहीं निकलती हैं। इसमें पीली, बसुही और वरुणा नदी पूरी तरह से सूख चुकी है। यह पर्यावरण की दृष्टि से घातक है। इससे जलीय पारिस्थिकी तंत्र का विकास रुकता है। - प्रोफेसर शंभूराम चौहान, मौसम वैज्ञानिक, प्राचार्य, राजपीजी कॉलेज।से बताए किज्ञनदियों के संरक्षण के लिए निर्देश दिया गया है। गोमती नदी की सफाई के लिए अभियान चलाया गया है। साथ ही कोई भी प्रदूषित जल इसमें न मिलने पाए इसके लिए संबंधित विभाग को निर्देशित किया है। अन्य नदियों का भी संरक्षण कराया जाएगा।