भगवान पिप्पलेश्वर महादेव मंदिर के पाटोत्सव पर आयोजित श्री भक्तमाल कथा में गुरूवार को वृंदावन के संत चिन्मयदास महाराज ने मनुष्य जन्म, प्रभु की कृपा और हरिराम व्यास के चरित्र का वर्णन किया। महाराज श्री ने पावन श्री वृंदावन धाम...,बोल बरसाने वाली की जय जय..., हमारे दो ही रिश्तेदार, एक बांके बिहारी, दूसरा राधा रानी के भजनों से श्रद्धालुओं को नाचने पर मजबूर कर दिया।

महाराज श्री ने कहा कि मनुष्य जन्म सत्संग से सुलभ हो रहा है, हमारे संत कहते हैं कृपा को याद करना ही भजन है, कृपा को भूल जाना सबसे बड़ी विपत्ति है, लोग कहते हैं भगवान की कृपा कब होगी, मनुष्य जन्म ही भगवान की कृपा है, मनुष्य शरीर प्रभु की कृपा से ही है, महाराज श्री ने कहा कि मानव जन्म के बाद भी लोग सो रहे हैं, काम नहीं कर रहे हैं, टीवी मोबाइल में उलझ रहे हैं, समय व्यर्थ गवा रहे हैं, जो सत्संग में बैठते हैं यही भगवान की कृपा है। उन्होंने कहा कि लोग मोबाइल में समय बर्बाद कर रहे हैं, हमे कोई छोटी से छोटी चीज देता है तो उसे धन्यवाद थैंक यू बोलते हैं, लेकिन ईश्वर हमारा भरण पोषण कर रहा है, उसे धन्यवाद देना चाहिए। उन्होंने नव विवाहित की एक कथा के माध्यम से कहा कि जब नव विवाहिता पत्नी को उसके पति ने नाक की सोने की नथ दी तो वह उसे जगह-जगह बताती फिर रही है लेकिन जिस प्रभु ने नाक दी उसके बारे में कुछ नहीं कहा, हम नाक देने वाले करतार को याद नहीं कर रहे, भगवान को भूल जाना सबसे बड़ी विपत्ति है, याद करना सबसे बड़ी संपत्ति है। संगीतमय भक्तमाल कथा में उन्होंने राधा रानी के कई भजनों के माध्यम से प्रभु का गुणगान किया। संत चिन्मयदास महाराज ने कहा कि भगवान के चरित्र अनंत है, वैसे ही भक्तों के चरित्र भी अनंत हैं, शरीर भी धोखा देने वाला है, संसार भी धोखा दे देगा, प्रेम परमात्मा से करोगे तो धोखा नहीं मिलेगा। भगवान गुण नहीं देखते, आचरण नहीं देखते, भगवान को जानना आसान है, लेकिन भक्त को जानना मुश्किल है। कथा के माध्यम से उन्होंने कहा कि बिन सबरी, बिन केवट, राम कथा नहीं हो सकती, यह एक दूसरे के परिपूरक है। महाराज श्री ने हरि वंश प्रभु की परंपरा और कथा के माध्यम से उनके गुणों का गुणगान किया। उन्होंने हरिराम व्यास जी का पावन चरित्र का भी वर्णन किया। महाराज श्री ने कहा कि जहां संत गुरुदेव प्रसन्न होते हैं वहां भगवान प्रसन्न होते हैं, हमारे दो ही रिश्तेदार एक बांके बिहारी दूसरा राधा रानी श्री हरी राम व्यास जी को सरस्वती मंत्र की सिद्धि प्राप्त थी