पूर्व राजपरिवार के सम्बन्ध में फैलाये जा रहे दुष्प्रचार एवम न्यायालय के निर्णय का गलत व्याख्या सोशल मीडिया पर किये जाने पर बलभद्र सिंह जी के अधिवक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश पारीक से पूछे जाने उनके द्वारा बताया गया कि परिवादी बलभद्र सिंह की द्वारा एक प्राथमिकी दर्ज करवाई गई थी जिसमे कहा गया था कि प्रकरण में अभियुक्तगण द्वारा बिना किसी पूर्व राजपरिवार के पगड़ी दस्तुर का कार्यक्रम किया गया हे उक्त कार्यक्रम किये जाने से जाती समाज में वैमनस्यता फैलने की संभावना थी इस प्रकरण में पुलिस द्वारा बाद जांच इस आधार पर अंतिम प्रतिवेदन पेश किया गया कि क्योंकि पूर्वराजपरिवार के समस्त सदस्यो एवम जागीरदारों एवम अन्य पूर्व रियासतों की सहमति से उक्त महाराव राजा वंशवर्धन सिंह के पाग दस्तूर का कार्यक्रम सम्पन्न हो चुका हे इसलिए प्रकरण गलतफहमी में दर्ज कराए जाने के आधार पर अंतिम प्रतिवेदन प्रस्तूत किया गया एवम उक्त प्रकरण में परिवादी द्वारा इस आधार पर आपत्ति याचिका प्रस्तुत करि गयी की प्रकरण गलतफहमी में नही दर्ज करवाया गया हे जिस न्यायालय ने बाद विचारण अंतिम प्रतिवेदन स्वीकार फरमाया गया अधिवक्ता श्री दिनेश पारीक ने बताया की उक्त न्यायालय में न तो ये विषय विचारणीय था कि राज परिवार की पाग किसको बधेगी न ही उक्त न्यायालय को उक्त विषय पर विचारण करने की अधिकारिता थी 

अधिवक्ता ने बताया कि न्यायालय के निर्णय का गलत रूप से व्याख्या करना भी दंडनीय कृत्य की श्रेणी में आता हे एवम किसी भी न्यायिक निर्णय की न्यायिक समीक्षा ही कि जानी चाहिए एवम समीक्षा किये जाते समय न्यायालय के निर्णय की मर्यादा बनाई रखी जानी चाहिए