जिनके कपड़े में जेब नही वो है जैन संत-खरतरगच्छाधिपति
गुणानुवाद सभा का हुआ आयोजन
बाड़मेर। आराधना भवन में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ चातुर्मास कमेटी के तत्वावधान में व खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वर म.सा. की पावन निश्रा, बहिन म.सा साध्वी डॉ. विधुत्प्रभाश्री, साध्वी कल्पलता श्री म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में सोमवार को 16 फरवरी को बहिन म.सा. साध्वी डॉ. विधुत्प्रभाश्री के शिष्यत्व स्वीकार कर नूतन दीक्षित हुए चार बाड़मेर की बेटियों की बड़ी दीक्षा का कार्यक्रम आयोजित हुआ। चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष अशोक धारीवाल व सचिव बाबुलाल बोथरा ने बताया कि बाड़मेर में 16 फरवरी को कुशल वाटिका में बाड़मेर नगर की बिटिया नूतन साध्वी बनी साध्वी ध्यानरूचिश्री म.सा., साध्वी अपूर्णरूचिश्री म.सा, साध्वी अनन्यरूचिश्री म.सा. व साध्वी आप्तरूचिश्री म.सा. की बड़ी दीक्षा खरतरगच्छाधिपति के हाथों सोमवार को आराधना भवन सम्पन्न हुई। बड़ी दीक्षा का महत्व बताते हुए खरतरगच्छाधिपति ने कहा कि दीक्षा प्रदान करने के बाद भी कुछ समय तक उसे इस जीवन से वापस गृहस्थ होना हो तो हो सकता है। दीक्षा के इस चरण में परखनें के बाद उसे पांच महाव्रत करने की अनुमति दी जाती है। आचार्य श्री ने वर्णन करते हुए बताया कि पहला महाव्रत अहिंसा होता है, जिसमें जीवन भर में गाड़ी उपयोग नहीं करना, जीवों को बचना और अभयदान देना, प्रेम देना होता है। दूसरा महाव्रत जीवन पर्यन्त झूठ नही बोलना हमेशा सत्य बचन बोलना, तीसरा महाव्रत है चोरी नही करना इसका मतलब है कि किसी भी वस्तु को बिना पुछे नही लेना। चौथा महाव्रत है ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करना होता है। पांचवा महाव्रत में परिग्रह होता। परिग्रह का मतलब झगड़ा नही करना, तनाव नही करना, जितनी सामग्री की जरूरत हो उतनी ही पास में रखना होता है। गुरूदेव के मुखारबिन्द से इन पांच महाव्रत धारण करने के पच्चखान दिए गए। बड़ी दीक्षा के बाद साध्वी अपना जीवन उस साध्वी मण्डल के साथ आराम बीता सकते है। चातुर्मास कमेटी के सचिव बाबुलाल बोथरा ने बताया कि इसी कार्यक्रम के दौरान मोकलसर मे होने जा रही क्रिया टीमरेचा की दीक्षा की पत्रिका लेखन का कार्यक्रम किया गया। गुरूदेव के द्वारा पत्रिका पर वासक्षेप डाल मंत्रोचार से सर्वप्रथम परमात्मा को पत्रिका लिखी गई। कार्यक्रम के अंत में पालीतणा तीर्थ की पावन धरा पर रात्रि में महत्तरा पद विभूषिता वात्सल्यनिधि समाधि साधिका साध्वी दिव्यप्रभा श्री म.सा. के देवलोकगमन होने पर गुणानुवाद का कार्यक्रम हुआ। गुणानुवाद सभा में खरतरगच्छाधिपति, समयप्रभसागर म.सा., विरक्त सागरजी म.सा., बहिन म.सा. डॉ. विधुत्प्रभाश्री, कल्पलता श्री म.सा., विश्वरत्ना श्री म.सा. ने अपने विचार व्यक्त किए। इसी कड़ी में गुरूभक्त केवलचन्द छाजेड़, वीर पिता सुनिल पारख, सोनू वडेरा ने गीत के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम के अंत में खरतरगच्छ संघ की ओर संघ प्रभावना दी गई। सोमवार को सांय 05.00 बजे आचार्य श्री ने बालोतरा की ओर विहार हुआ।
बाड़मेर की चार नूतन दीक्षित साध्वियों बड़ी दीक्षा सम्पन्न चार नूतन दीक्षित साध्वियों ने किए पंच महाव्रत धारण
