जिला प्रशासन के "कामयाब कोटा" और "कोटा केयर्स" अभियान के तहत कोचिंग स्टूडेंट्स को लगातार प्रेरित किया जा रहा है। इसी कड़ी में जिला कलक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी मंगलवार को एलन कोचिंग संस्थान के जवाहर नगर स्थित सत्यार्थ कैंपस में पहुंचे और नीट परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के साथ संवाद किया।

 एलन निदेशक श्री राजेश माहेश्वरी ने भी छात्रों के साथ बैठकर पूरी क्लास अटेंड की। सत्र के अंत में कलक्टर डॉ. गोस्वामी ने छात्रों को चॉकलेट वितरित कर परीक्षा के लिए शुभकामनाएं दीं।

सेल्फ डाउट और ओवरथिंकिंग से कैसे बचें?

सत्र के दौरान डॉ. गोस्वामी ने स्टूडेंट्स के मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर चर्चा की। एक छात्रा द्वारा सेल्फ डाउट और ओवरथिंकिंग से जुड़ा सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह समस्या हर व्यक्ति के साथ होती है। उन्होंने बताया कि जब हम किसी चीज को ज्यादा महत्व देते हैं, तो दिमाग उसे बार-बार क्रॉस चेक करता है, जिससे ओवरथिंकिंग होती है। इसे मैनेज करने के लिए सबसे पहले इसे स्वीकारें कि हम किसी विषय पर ज्यादा सोच रहे हैं। इसके बाद अपनी चिंताओं को लिखें, उनके प्रभावों को समझें और फिर उस कागज को फाड़ दें या डिजिटल रूप से डिलीट कर दें। इससे नकारात्मक सोच कम होगी और मानसिक स्पष्टता बढ़ेगी।

 बैकलॉग और रिवीजन कैसे करें?

बैकलॉग मैनेजमेंट पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि कोई भी छात्र ऐसा नहीं होता जिसने पूरी पढ़ाई कर ली हो और फिर भी उसके पास समय बचा हो। उन्होंने कहा कि कठिन विषयों के लिए स्मार्ट अध्ययन जरूरी है। स्टूडेंट्स को की-वर्ड आधारित रिवीजन तकनीक अपनाने की सलाह दी गई, जिसमें कठिन विषयों से जुड़े मुख्य बिंदुओं को नोटबुक के कोने पर लिखने से रिवीजन आसान हो जाता है। इसके अलावा, जब भी समय मिले, खासकर छुट्टी के दिन, रिवीजन को प्राथमिकता देने पर जोर दिया।

75 दिन शेष, रोज पेपर हल करें

नीट परीक्षा की रणनीति पर चर्चा करते हुए डॉ. गोस्वामी ने कहा कि अब सिर्फ 75 दिन शेष हैं, इसलिए स्टूडेंट्स को रोजाना पूरे तीन घंटे की सिटिंग में पेपर हल करने की आदत डालनी चाहिए। इससे परीक्षा की तैयारी का सही आकलन होगा और कमजोर टॉपिक्स की पहचान होगी। उन्होंने कहा कि सिली मिस्टेक्स सभी से होती हैं, लेकिन अधिक पेपर हल करने से इन गलतियों को कम किया जा सकता है।

नींद और मानसिक ताजगी का रखें ध्यान:

नींद और मानसिक ताजगी बनाए रखने के महत्व को समझाते हुए उन्होंने कहा कि नींद आना स्वाभाविक है और यह हमें रिलैक्स भी करती है। यदि कोई विद्यार्थी पावर नैप्स लेकर अपनी एकाग्रता और पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ा सकता है, तो उसे ऐसा जरूर करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि 5-6 घंटे की सतत पढ़ाई के बाद थोड़ी देर आराम करने से आगे की पढ़ाई अधिक प्रभावी हो सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि नींद पूरी नहीं होगी, तो दिमाग पर बोझ बढ़ेगा और पढ़ाई की क्षमता प्रभावित होगी।

स्टूडेंट्स ने खुलकर पूछे सवाल:

इस प्रेरणादायक सत्र में छात्र-छात्राओं ने भी खुलकर अपने सवाल पूछे और परीक्षा की तैयारियों से जुड़ी शंकाओं का समाधान प्राप्त किया। डॉ. गोस्वामी ने परीक्षा से संबंधित हर पहलू पर गहराई से चर्चा की। उन्होंने सभी छात्रों को परीक्षा के लिए शुभकामनाएं दीं और सफलता के लिए निरंतर प्रयास करने की प्रेरणा दी।