युवाओं के लिए प्रेरणा बनीं सुगंध भार्गव, अपनी अनोखी सुगंध से महका रही हैं उनके भविष्य को।

- कोटा की बेटी देश-विदेश में पहुंचा रही स्वामी विवेकानंद के विचार।

कोटा।

स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में युवा दिवस का आयोजन प्रेरणा और उत्साह का प्रतीक बन गया है। इस अवसर पर कोटा की बेटी सुगंध भार्गव ने अपनी अनूठी उपलब्धियों और समाजसेवा से युवाओं को प्रेरित किया। स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरित होकर सुगंध ने भारतीय संस्कृति और योग के माध्यम से देश-विदेश में भारत का नाम रोशन किया है।

मीडिया की चमक छोड़ योग को अपनाया

सुगंध भार्गव ने अपनी सफलता की यात्रा मुंबई से शुरू की, जहां उन्होंने मीडिया क्षेत्र में 8 वर्षों तक एक शानदार करियर बनाया। बावजूद इसके, उन्होंने योग और समाजसेवा के मार्ग पर चलने के लिए इस प्रतिष्ठित करियर को छोड़ दिया। सुगंध ने योग को अपना जीवन समर्पित कर दिया और इसे भारत की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विश्वभर में प्रचारित करने का बीड़ा उठाया। उनका कहना है कि यह निर्णय आसान नहीं था, लेकिन उनके भीतर एक गहरी प्रेरणा ने उन्हें इस राह पर चलने के लिए तैयार किया।

सद्गुरु की अनुयायी, योग में नई दृष्टि लाई

सुगंध सद्गुरु की अनुयायी हैं और उनकी शिक्षाओं से गहराई से प्रेरित होकर योग के माध्यम से लोगों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन प्रदान करने का प्रयास कर रही हैं। सद्गुरु के मार्गदर्शन ने उन्हें आत्म-ज्ञान और सेवा के महत्व को समझने में मदद की। यही प्रेरणा उन्हें योग के माध्यम से समाज और युवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में निरंतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

कोविड काल में केदारनाथ यात्रा बनी प्रेरणा का स्रोत।

सुगंध भार्गव ने कोविड के दौरान केदारनाथ यात्रा के समय युवाओं और समाज के लिए कुछ अद्वितीय करने का दृढ़ निश्चय किया। तब से वह निरंतर इस दिशा में काम कर रही हैं। उन्होंने अब तक 12,000 से अधिक लोगों को योग सिखाया है। उनके सिखाए योग ने अनगिनत लोगों को स्वस्थ, सशक्त और सुखद जीवन जीने की दिशा में प्रेरित किया है।

सुगंध ने योग में विशेषज्ञता हासिल करते हुए मिनिस्ट्री ऑफ आयुष से लेवल 6 प्रमाणपत्र प्राप्त किया। आज वे देश-विदेश में हठ योग, अष्टांग योग और अन्य योग क्रियाओं का प्रशिक्षण देकर भारत की समृद्ध योग परंपरा का प्रचार कर रही हैं। इसके साथ ही, स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी से मास्टर की उपाधि लेकर उनके विचारों को देश-विदेश में फैलाने का अनवरत प्रयास कर रही हैं।

शिक्षा में योग को अनिवार्य करने की अपील

सुगंध भार्गव ने कहा कि योग न केवल एक शारीरिक व्यायाम है, बल्कि यह मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास का माध्यम भी है। उन्होंने स्कूलों में योग को प्रारंभ से अनिवार्य करने का सुझाव दिया, जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके और वे भारतीय संस्कृति से जुड़ सकें। उन्होंने योग को आत्म-ज्ञान, तनावमुक्त जीवन और मानसिक स्पष्टता का सबसे प्रभावी साधन बताया।

यूथ: देश की रीढ़: सुगंध ने युवाओं को देश की रीढ़ बताते हुए कहा कि उन्हें व्यसनों से बचना चाहिए और देश के लिए समर्पित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि योग से आत्मशक्ति और आत्मविश्वास बढ़ता है, जो किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक है।

योग से भारतीय संस्कृति का प्रचार

सुगंध भार्गव ने भारत के विभिन्न शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हिमाचल में बड़े योग शिविर आयोजित कर हजारों लोगों को लाभान्वित किया है। इसके अलावा, वे आश्रमों के बच्चों और ऑनलाइन माध्यम से केन्या, न्यूयॉर्क, और यूएस में भी योग सिखा रही हैं। उनका कहना है कि योग के माध्यम से हम अपनी जड़ों से जुड़ सकते हैं और इसे विश्व मंच पर सम्मान दिला सकते हैं।

युवाओं के लिए संदेश

युवा दिवस पर सुगंध ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा, "हर परिवार में योग की आदत डालें। योग से न केवल परिवार बल्कि समाज भी स्वस्थ और सशक्त बनेगा। युवाओं को अपने अंदर देश के लिए कुछ करने का जज्बा जगाना चाहिए। यही स्वामी विवेकानंद के विचारों का सार है और हमारा लक्ष्य भी।"