भारतीय जनता पार्टी राजस्थान प्रदेश के मीडिया संपर्क विभाग के प्रदेश सहसंयोजक एवं कोटा संभाग के मीडिया संयोजक अरविंद सिसोदिया ने कहा है कि पूर्वी राजस्थान कैनाल परियोजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के सामूहिक एकात्म प्रयत्नों द्वारा पूरा करने के संकल्प का स्वागत राजस्थान और मध्यप्रदेश की जनता की ही तरह कांग्रेस को भी करना चाहिए। इस परियोजना से राजस्थान और मध्यप्रदेश के लाखों किसानों के खेतोँ को सिंचाई हेतु पानी मिलेगा, जिससे कई - कई पीढ़ियों का जीवनस्तर संबरेगा, किसानों का भला होगा।
उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के पास केंद्र में मनमोहन सिंह सरकार 10 साल तक रही और राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार भी कई बार रही और वह इस योजना पर काम करके किसानों का कल्याण और ग्रामीण विकास कर सकते थे, किन्तु किसान विरोधी मानसिकता से वे अवसर चूक चुके हैँ। क्योंकि उन्हें कुर्सी युद्ध फुर्सत ही नहीं मिली ।
सिसोदिया ने कहा कि वर्तमान समय में केंद्र और दोनों राज्यों की तीनों सरकारें भाजपा की हैँ जिसका परियोजना पर तेजगति से काम करने के रूप में परिणाम मिलेगा।
उन्होंने कहा कि देश के कृषि एवं ग्रामीण जनजीवन के उत्थान एवं प्रतिवर्ष बाढ़ और सूखे की समस्या से मुक्ति के लिए प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के समय नदियों से जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजना पर व्यापक विशेषज्ञ अध्ययन हुआ था। किन्तु तब विभिन्न एनजीओ, कांग्रेस के प्रबल विरोध के कारण इन योजनाओं को अम्लीजामा नहीं पहनाया जा सका था। इसके बाद कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार के 10 साल और राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को पूरा-पूरा समय मिलने के बावजूद किसान विरोधी मानसिकता से कोई कार्यप्रगति नहीं हुई।
सिसोदिया नें कहा कि अब इस किसान कल्याणकारी परियोजना पर, गारंटीयों को पूरा करने की गारंटी वाली केंद्र की मोदीजी की सरकार एवं राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार एवं मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता से काम प्रारंभ किया है। जो स्वागत योग्य है और कांग्रेस को आलोचना करने या मीनमेख निकालने के बजाय इसका स्वागत करना चाहिए, साथ चलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस वैचारिक शून्यता एवं हीनभावना से ग्रस्त होकर कुंठित अवस्था में है। उन्हें खुद ही पता नहीं कि किस कार्य का स्वागत एवं किस कार्य का विरोध करना चाहिए। वह विपक्ष का मतलब सिर्फ विरोध करने मात्र में सिमट गईं है, जबकि विपक्ष का कार्य लोककल्याण की बहुँआयामी प्रगति को बढ़ावा देना ही होता है।