जोधपुर के डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद यूनिवर्सिटी में आयुर्वेदिक औषधि मानकीकरण चुनौतियां और समाधान विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई। अपने संबोधन में राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा- प्राचीन समय में भारतीय आयुर्वेदिक ज्ञान आत्रेय, चरक, सुश्रुत पद्धति और परिवर्तित चिकित्सा प्रणालियों के ज्ञान को सुनियोजित तरीके से देश से बाहर ले जाया गया। उस ज्ञान में कुछ हेरफेर कर उसे अपना बनाने के प्रयास किए गए। इसलिए जरूरी है कि जो उपलब्ध ज्ञान हमारा है आयुर्वेद की दुर्लभ औषधीय और उनके पेटेंट की दिशा में नियंत्रण कार्य होना चाहिए।राज्यपाल ने कहा कि नालंदा यूनिवर्सिटी का में विश्व के लोग ज्ञान लेने के लिए आते थे। आयुर्वेद के महान ज्ञान को देखते हुए बख्तियार खिलजी ने उस ज्ञान को सदा समाप्त करने के लिए नालंदा यूनिवर्सिटी के पुस्तकालय में आग लगा दी थी। भारतीय ज्ञान को कोई मिटा नहीं सका। राज्यपाल ने यहां आए आयुर्वेदाचार्यों और विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा- हमें आयुर्वेदिक औषधियां पर शोध को बढ़ावा देने के साथ ही असाध्य रोगों में भी उनके उपयोग के परीक्षण और प्रसार की दिशा में काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा की आयुर्वेदिक औषधियां की ब्रांडिंग और पैकेजिंग भी इस तरीके से होनी चाहिए कि वह उपयोग के लिए आकर्षित करें। उन्होंने इसके विपणन की कारगर नीति पर भी कार्य करने पर जोर दिया