आप पार्षद महेश कुमार नए महापौर बन गए हैं। उन्होंने चुनाव के बाद ही अपना कार्यभार संभाल लिया। निगम में राजनीतिक खींचतान भाजपा और आप में चरम पर हैं। ऐसे में महेश कुमार के सामने चुनौतियां कम नहीं होगी।उन्हें वैसे तो पांच माह का कार्यकाल मिला है, लेकिन काम करने के लिए उनके पास नवंबर माह के साथ दिसंबर माह ही होगा। क्योंकि फरवरी 2025 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता जनवरी में ही लागू हो जाएगी। जबकि मार्च का माह बजट पास कराने में ही निकल जाएगा। ऐसे में कम समय में ज्यादा काम और जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने की चुनौतियां होगी।

चुनौती से कम नहीं होगा

इतना ही नहीं स्थायी समिति का गठन न होने से प्रभावित हो रहे निगम के कामकाज को कैसे पटरी पर लाना है यह उनके लिए चुनौती से कम नहीं होगा। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बिना स्थायी समिति का गठन नहीं हो सकता है। जबकि पांच करोड़ से ज्यादा की परियोजनाओं के लिए उन्हें स्थायी समिति की जरूरत होगी। क्योंकि स्कूल, समुदाय भवन के निर्माण और मरम्मतों के लिए पांच करोड़ से ज्यादा की राशि होने पर स्थायी समिति की मंजूरी की जरूरत होगी।इसके साथ ही नव निर्वाचित महापौर को दिल्ली में गंदगी की समस्या के निजात दिलाने के लिए भी कार्य कराना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। दिल्ली में डलाव घरों के आस-पास सफाई व्यवस्था खराब हैं। आवारा पशुओं की समस्या भी है। वहीं, कूड़ा निस्तारण के लिए लैंडफिल साइट पर कार्य तेजी से हो यह भी कराना होगा।