बूंदी। दीपावली पर्व के बाद गोवर्धन पूजा होती आई है। गांवों में आज भी महिलाएं गोवर्धन पूजा करती है। तलवास गांव में भी इस परम्परा का निर्वहन होता आया है। मकान के सामने मिट्टी से लिप कर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत के प्रतिक के रूप में आकृति बनायी जाती है। इस गोवर्धन पर्वत प्रतिक की सामुहिक पूजा की गयी। आस पड़ोस की वयोवृद्ध सीता बाई, लाड़ बाई, भंवरीबाई, निर्मला शर्मा, शकुंतला गौड़,राधा शर्मा, संजू शर्मा, राधा गौड़, वन्दना शर्मा, नेहा शर्मा, प्रतिभा शर्मा, रेणु शर्मा, सीमा शर्मा, अंजली शर्मा, मुस्कान जोशी, शिवानी गौड़, प्रमीला, निशा बावरिया, निकिता, सरस्वती, आयुषी शर्मा ने सामूहिक रूप से पूजा कर मिठाई, पापडियां, पूरे का भोग लगाया गया। इस भोग को प्रसाद के रूप में वितरित किया गया। बुजुर्ग महिलाओं से आशीर्वाद प्राप्त किया।
  आज के दिन भगवान श्री कृष्ण जी को अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। विभिन्न सब्जियों से निर्मित सब्जी को रामराजा कहते हैं। यह त्यौहार परिवार, समाज की एकता व सुख शांति की कामना करने वाला त्यौहार है।
   गोवर्धन पूजा व अन्नकूट का त्यौहार मुख्य रूप से प्रकृति के प्रति हमारी आस्था को दर्शाता है। इस त्यौहार से हमें याद दिलाया जाता है कि हमारे जीवन में धरती, जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का योगदान अमूल्य है। हम सभी को त्यौहार  प्रकृति की रक्षा करने की प्रेरणा भी देता है।