राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में कौन सी सीट पर बगावत और नाराजगी समीकरण बदल सकती है, नामांकन के बाद तस्वीर खुलकर सामने आ गई है। बीजेपी ने शुरुआती तौर पर सलूंबर, झुंझुनूं और रामगढ़ सीटों पर टिकट कटने से नाराज नेताओं को मना लिया है। खींवसर सीट पर भी समीकरण बिगाड़ने वाले नेता को अपने खेमे में ले लिया है। हालांकि कुछ जगहों पर नेताओं की साइलेंट नाराजगीबरकरार है।विपक्षी पार्टी कांग्रेस में डैमेज कंट्रोल उतना प्रभावी रूप से नहीं हो पाया है। देवली-उनियारा से बागी नरेश मीणा कांग्रेस के लिए चुनौती बन गए हैं। इसी सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा तो सलूंबर में रघुवीर मीणा की नाराजगी बरकरार है। कुछ सीटों पर तो नाराजगी टीस में बदल गई है। लोकसभा चुनाव में बना इंडिया गठबंधन राजस्थान में टूटने से भी कांग्रेस के भीतर नेताओं में खींचतान है। कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को बीजेपी का टिकट मिलने के बाद दौसा सबसे हॉट सीट बन गई है। दोनों पार्टियों में नए चेहरों को टिकट मिलते ही नाराजगी और भितरघात की नींव भी पड़ चुकी है।कांग्रेस में किसी नेता ने खुलकर बगावत तो नहीं की है, लेकिन यहां अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे में खींचतान के संकेत हैं। कांग्रेस उम्मीदवार दीनदयाल बैरवा की नामांकन सभा के दौरान पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बयान ने सियासी परसेप्शन बदल दिया है। गहलोत ने कहा था- दिल्ली तक यह बात चल रही है कि मैच फिक्स है, जबकि यह गलत है। यह बात गलत साबित करनी है। गहलोत का इशारा सांसद मुरारी लाल मीणा और मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के बीच सियासी समझौते की चर्चाओं की तरफ था। दौसा की राजनीति में हर कोई दबी जुबान में इसकी चर्चा करता था, लेकिन गहलोत ने इसे मंच से बोलकर वोटर्स में चर्चा छेड़ दी है।