131वें राष्ट्रीय मेला दशहरा- 2024 के तहत रावण के कुनबे का शनिवार रात को परंपरागत तरीके से दहन हुआ। भगवान लक्ष्मीनारायणजी की सवारी के साथ लाव लश्कर सहित पहुंचे कोटा रियासत के पूर्व महाराव इज्यराज सिंह ने पूजा-अर्चना के बाद रावण की नाभि के कलश को तीर से भेदा। इसके बाद देखते ही देखते अहंकारी रावण का कुनबा भस्म होता चला गया। इस दौरान मुख्य अतिथि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला थे। वहीं शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर, विधायक संदीप शर्मा, कल्पना देवी, महापौर राजीव भारती, मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी भी मौजूद रहे।
रावण दहन के दौरान लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। आतिशी धमाकों के साथ रावण का कुनबा खाक हो धराशाही हो गया। विजयश्री रंगमंच पर करीब पौन घंटे रंगीन आतिशबाजी हुई। जिससे दर्शकों का रोमांच सातवें आसमान पर पहुँच गया। लोगों ने इन यादगार पलों को कैमरों में भी कैद किया।
इससे पहले दिनभर रावण कुनबा मैदान में डटा रहा। 80 फीट रावण व 60-60 फीट के कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों ने दहन से पहले मैदान में गर्दन घुमाना, तलवार चलाने के करतब दिखाए व खूब अट्टहास किया।
गढ़ पैलेस में दरीखाने के बाद भगवान लक्ष्मीनारायण जी की सवारी दशहरा मैदान पहुंची। वहां पूर्व महाराव इज्येराज सिंह ने सीता माता के पाने ज्वारे की पूजा की। रावण के अमृत कलश पर तीर चलाया।
पूर्व महाराज इज्यराज सिंह के अमृत कलश फोड़ने के साथ ही 7.55 बजे रावण के कुनबे का दहन शुरू हुआ। उसके बाद एक-एक करके पुतलों का दहन किया गया। दहन 8.10 बजे तक अनवरत चलता रहा। पुतलों में आग लगते ही दहन स्थल पर मौजूद हर शख्स के हाथ में मोबाइल कैमरे जगमगा उठे। सबसे पहले कुंभकर्ण के पुतले को आग लगाई गई। उसके बाद मेघनाद के पुतले को आग लगाई। अंत में रावण का पुतले को आग लगाई गई। इस बार ग्रीन आतिशबाजी के रंगीन नजारों के साथ अहंकारी रावण का कुनबे सहित दहन हुआ। सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त रहे।
इस बार तीनों पुतलों के दहन के साथ ही आतिशबाजी भी की गई। जबकि पिछले सालों में केवल रावण के पुतले को जलाने के साथ ही आतिशबाजी होती थी। दहन के बाद होने वाली आतिशबाजी ने भी काफी देर तक दर्शकों को बांधे रखा।
*रथ पर सवार होकर दिया मूछों को ताव*
रावण के वध से पहले अट्टहास करते हुए रावण ने पूरा दशहरा मैदान गूंजा दिया। इस बार रावण रथ पर सवार होकर मखमली मूछों को ताव देता रहा। बार बार युद्ध के लिए ललकारते हुए रावण परम्परा के अनुसार दुर्गति को प्राप्त हुआ।
*थ्री डी लुक में नजर आया रावण*
इस बार रावण का पुतला रथ पर सवार नजर आया। रावण खड़ा होने के बाद उसकी झालर कुर्ते की तरह हिलती हुई नजर आ रही थी। इसकी सजावट में थ्री डी इफेक्ट डाला गया था। जो हर तरफ से एक सा नजर आ रहा था।
*रावण दहन देखने उमड़ी भीड़*
रावण के दहन को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग मेला मैदान पहुंचे। दहन से पूर्व हर कोई पुतले के साथ सेल्फी लेने की होड़ में था। छोटे बच्चे पिता के कंधे पर बैठकर दहन देख रहे थे। पुलिस के भी व्यापक प्रबंध किए गए थे।
बारिश की बूंदें भी नहीं डिगा पाई हौंसला
रात को रावण का पुतला खड़ा करने में व्यवधान आया और दिनभर हल्की बूंदाबांदी रुक-रुक कर होती रही। इसके बावजूद भी नगर निगम के निर्माण अनुभाग की पूरी टीम दृढ़ हौसले के साथ दहन स्थल पर डटी रही। रात के व्यवधान के बावजूद भी सुबह तक रावण के पुतले को खड़ा कर दिया गया। वहीं बारिश की बूंदों के चलते पुतले को कवर करते हुए वाटरप्रूफ कर दिया गया था। सुबह होते ही ऐसा लगने लगा मानो घायल रावण का अहंकार फिर से अट्टहास करने लगा हो।
*सोने की लंका बनी आकर्षण का केन्द्र*
रावण के पुतले के पीछे सोने की लंका भी बनाई गई। जो खासी आकर्षण का केन्द्र बनी रही। जिसे प्लाई बोर्ड के द्वारा सोने की लंका का रूप दिया गया था। इसमें 20 प्लाईबोर्ड काम में लिए गए। जिसकी सहायता से तकरीबन 250 फीट सोने की दीवार तैयार की गई थी। इस पर मखमल के कलर्ड पर्दे लगाए गए। जो राजसी वैभव की झलक दिखला रहे थे। इसके बाद विशेष सौंदर्यकरण के द्वारा सोने की लंका का रूप दिया गया। लंका पर सजे धजे सैनिक भी खड़े हुंकार भर रहे थे।
*पॉल्यूशन फ्री और इको फ्रेंडली रावण दहन*
इस बार पुतले में ग्रीन आतिशबाजी का प्रयोग किया गया था। जिससे रावण दहन पॉल्यूशन फ्री और इको फ्रेंडली रखने का प्रयास किया गया।
*लंका दहन में दिखे आतिशी नजारे*
रावण दहन के बाद होने वाले लंका दहन में भी आतिशी नजारे दिखे। आसमान में रंगीन अशर्फियाँ सबको रोमांचित कर रही थीं। गोल्डन शॉट से सोने की लंका के जलने का दृश्य प्रस्तुत किया गया।