राजस्थान में IAS राजेंद्र विजय के ठिकानों पर हुई ACB रेड और उसमें मिली करोड़ों की संपत्ति चर्चा में है। अफसर बनने के समय ‘0’ प्रॉपर्टी थी, लेकिन 33 साल में राजेंद्र विजय करोड़ों के शोरूम, पॉश इलाकों में 10 से ज्यादा प्लॉट, इंडस्ट्रियल एरिया में जमीनों का मालिक बन गया। विजय ने अपनी नौकरी के दौरान इतनी प्रॉपर्टी खरीदी, जिसका आंकलन करने में ही एसीबी को कई हफ्ते लगेंगे। बेटे की विदेश में पढ़ाई पर ही करोड़ों के खर्च का ब्यौरा मिला है। अब छापेमारी में एसीबी ने आईएएस की मां के बैंक खातों को भी खंगाला है। करीब 14 साल पहले 60 लाख से ज्यादा के ट्रांजेक्शन मिले हैं। एसीबी अब और आगे पड़ताल कर रही है। 

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मलाईदार पोस्टिंग : जेडीए में ही तीन बार नियुक्ति, राजनीतिक रसूख भी

सूत्रों के अनुसार राजेंद्र विजय मध्य प्रदेश के एक बड़े भाजपा नेता से जुड़े हुए हैं। संबंधित नेता का संघ, संगठन और सरकारों में अच्छा प्रभाव माना जाता है। राजेंद्र विजय अपने सर्किल में मिलने वाले लोगों के सामने भी अपने राजनीतिक रसूख का जिक्र करते थे। वहीं किसी खास मकसद से कोई मिलने आता था तो राजेंद्र विजय के करीबी या उसे मिलवाने वाले पहले से सारे समीकरण समझा देते थे।

राजस्थान में चाहे कांग्रेस की सत्ता रही हो या बीजेपी की, अपनी 'काबिलियत' के चलते राजेंद्र विजय हमेशा मलाईदार पदों पर रहा। राजेंद्र विजय की 33 साल की सर्विस है। वर्ष 2022 में RAS से IAS प्रमोट हुए। पिछले 25 सालों में उनकी पोस्टिंग का सिलसिला देखा जाए, तो राजस्थान में ऐसे चंद अफसर ही मिलेंगे जो प्रभावशाली पदों पर रहे। खास बात यह है कि राजेंद्र की जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) में तीन बार पोस्टिंग हुई। एक बार जेडीए से हटाए गया, तो साल भर बाद फिर से जेडीए में ही तैनाती मिल गई थी।

14 साल पहले मां के खाते में 60 लाख ट्रांसफर, उगले कई राज

छापों के दौरान ACB साल 2009 में जमीन खरीद-फरोख्त में पैसों के लेन-देन के रिकॉर्ड को जांच रही थी। उस दौरान राजेंद्र विजय की मां के खाते में विभिन्न माध्यमों के जरिए 60 लाख रुपए ट्रांसफर हुए। तब राजेंद्र विजय को पहली बार जेडीए में पोस्टिंग मिली थी। उससे पहले वे रोडवेज में डिप्टी जनरल मैनेजर और उससे भी पहले एडिशनल कलेक्टर भरतपुर रहे थे।

ACB के जांच राजेंद्र विजय की मां के खाते तक कैसे पहुंची? इस पर सूत्रों ने बताया कि 2022 में उनकी मां ने टोंक रोड, लक्ष्मीनगर स्थित प्लाट नं. 80 और 81 राजेंद्र विजय की पत्नी को उपहार (गिफ्ट डीड) में दिया था। ACB ने जब कमाई का सॉर्स खंगाले तो पता चला कि दोनों प्लॉट 2009 और 2010 में 30.60 लाख और करीब 25.25 लाख (रिकॉर्ड पर) में खरीदा गया था।

प्लॉट खरीदने का भुगतान दो चेक से किया गया था। साथ ही 2.50 लाख की बाउंड्रीवाल करवाई गई। एजेंसी जांच कर रही है कि क्या 2009 से पहले या उसके बाद खाते में कब-कब और कितने-कितने ट्रांजेक्शन हुए? साथ ही किस-किस को पैसे दिए गए और किससे लिए गए? ACB सूत्रों के अनुसार संबंधित खाते के अलावा और बैंकों के खातों की जानकारी भी ली जा रही है। इन सभी का डेटा बारीकी से जांचा जाएगा।

सरकार से छिपाया संपत्तियों का ब्यौरा

एसीबी के डीजी रवि प्रकाश मेहरड़ा के अनुसार राजेन्द्र विजय के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति को लेकर शिकायत मिलने पर एसीबी की इंटेलिजेंस विंग द्वारा जांच की गई थी। रेड से पहले ACB अपने मुखबिर और सूत्रों के जरिए मिले इनपुट के आधार पर संपत्तियों कि जानकारी इकट्ठी कर ली थी। जब एक टीम ने राजेंद्र विजय की प्रॉपर्टी का वेरिफिकेशन कर सूची बनाई तो दूसरी टीम से भी सभी का वेरिफिकेशन करवाया गया।

चूंकि अफसरों को अपनी संपत्तियों का ब्यौरा कार्मिक विभाग को देना जरूरी है। ऐसे में जानकारी पुख्ता होने पर राजेंद्र विजय की ओर से कार्मिक विभाग के आईपीआर पोर्टल में संपत्तियों की जानकारी से मिलान किया गया। रिकॉर्ड में भारी अंतर पाया गया। जब मौजूदा प्रॉपर्टी से जुड़ी जानकारियां मेल नहीं खाईं, तो रिपोर्ट दर्ज कर कोर्ट से सर्च की परमिशन मांगी गई। मामले की जांच जारी है। राजेंद्र विजय की संपत्तियों की मौजूदा कीमत का आकलन किया जा रहा है।