बाड़मेर,07 अक्टूबर। अभियोजन विभाग एवं पुलिस आपसी समन्वय के साथ पैरवी करें। ताकि अधिकाधिक लोगाें को राहत प्रदान करवाई जा सके। जिला कलक्टर टीना डाबी ने सोमवार को जिला मुख्यालय पर महिला अत्याचार के मामलों की समीक्षा बैठक के दौरान यह बात कही।
जिला कलक्टर टीना डाबी ने कहा कि आपसी समन्वय एवं साक्ष्य के अभाव में कई बार पीड़ित पक्ष को न्याय नहीं मिल पाता है। ऐसे में अभियोजन एवं पुलिस विभाग चार्जशीट प्रस्तुत करने से पूर्व समुचित साक्ष्य भी जुटाएं। उन्होेंने कहा कि महिला अत्याचार से जुड़े मामलों में प्रभावी पैरवी के साथ त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। इस दौरान महिला अत्याचार से जुड़े प्रकरणों की समीक्षा करते हुए संबंधित विभागीय अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए। अभियोजन विभाग के उप निदेशक दिलीपसिंह राठौड़ ने अभियोजन एवं पुलिस की भूमिका से जुड़े विविध पहलुओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अनुसंधान करते समय फिंगर एवं फुट पिंरिट के साथ समस्त प्रकार के साक्ष्य जुटाने का प्रयास किया जाए। ताकि चार्जशीट पेश करने के उपरांत आरोपी पक्ष के बचाव की संभावना नहीं रहे। उन्होने चार्जशीट में संलग्न किए जाने वाले दस्तावेजों एवं जांच अधिकारियों से जुड़ा विवरण दर्शाने की बात कही। उप निदेशक दिलीपसिंह राठौड़ ने न्यायालय में आने वाले गवाहों को यात्रा भत्ता उपलब्ध करवाए जाने के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार की जरूरत जताई। इस दौरान जिला पैरोल सलाहकार समिति की बैठक आयोजित हुई। इसमें प्रस्तुत किए गए चार में दो प्रकरणों में संबंधित बंदियों को पैरोल पर भेजने की स्वीकृति दी गई। बैठक के दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर राजेन्द्र सिंह चांदावत, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जसाराम बोस, निलेश आर्य, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा.संजीव मितल,महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक प्रहलादसिंह राजपुरोहित, जिला आबकारी अधिकारी भंवरलाल, वरिष्ठ विधि अधिकारी हेमंत धनदे, विशिष्ट लोक अभियोजक कमाल खान उपस्थित रहे।