कोटा में संभागीय आयुक्त राजेन्द्र विजय के सरकारी आवास और ऑफिस में एसीबी का सर्च किया जा रहा है। इसके अलावा उनके सभी ठिकानों पर एसीबी की कार्यवाही चल रही है। राजेन्द्र विजय के जयपुर में तारों की कूट स्थित आवास पर सर्चिंग की जा रही है। कोटा में सीएडी स्थित संभागीय आयुक्त ऑफिस और उनके सरकारी आवास में, दौसा में पैतृक आवास दुब्बी में एसीबी का सर्च चल रहा है। बुधवार सुबह 6 बजे से एसीबी का सर्च चल रहा है। एसीबी को राजेन्द्र विजय के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की शिकायत मिली थी। जिस पर एसीबी ने जांच की और इसके बाद कोर्ट से सर्च आदेश मिलने के बाद एक साथ प्रदेश भर में राजेन्द्र विजय के ठिकानों पर सर्च अभियान शुरू किया। राजेन्द्र विजय ने 25 सितंबर को ही कोटा में संभागीय आयुक्त का पद संभाला था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि जब हम चार कदम आगे बढ़ाते हैं तो चुनौतियां आती है लेकिन कोटा के विकास में कोई भी चुनौती आएगी तो उसे दूर किया जाएगा। कोटा में जॉइनिंग के पांच दिन बाद ही उन पर एसीबी की सर्च कार्यवाही शुरू हो गई है। राजेन्द्र विजय ने 1991 में टोंक, दौसा और नागौर में एसीईएम पद पर अंडर ट्रेनिंग रहते हुए कार्यकाल शुरू किया था। इसके बाद टोंक उनियारा में साल 1992 में विकास अधिकारी के पद पर पदस्थ रहे। अगस्त 1993 से सितंबर 1993 तक एसीईएम सुजानगढ़ रहे। सुरतगढ़ गंगानगर में सब डिविजनल ऑफिसर के पद पर अक्टूबर 1994 में पदस्थ हुए जहां वे जुलाई 1995 तक कार्यरत रहे। इसके बाद अजमेर में ट्रांसपोर्ट अधिकारी, बाडमेर में सब डिवीजनल ऑफिसर, आईसीडीएस जैसलमेर में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर, अलवर में एडीएम सिटी, अलवर में ही डीआईजी रजिस्ट्रेशन एंड स्टांप के पद पर, एडिशनल चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर अलवर जिला परिषद, आबकारी अधिकारी अलवर रहे। राजेन्द्र विजय भरतपुर में अतिरिक्त कलेक्टर,आरएसआरटीसी जयपुर में डिप्टी जनरल मैनेजर,जेडीए जयपुर में डिप्टी कमिशनर,राजस्थान फाइनेंशियल कॉर्पेरेशन में जनरल मैनेजर, पर्यटन विभाग में जॉइंट सेक्रेटरी, बारां जिला कलेक्टर,बालोतरा में जिला कलेक्टर के पद पर रह चुके हैं। कोटा में जॉइनिंग से पहले वह आरयूआईडीपी में प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे हैं। कार्यकाल में दो बार एपीओ के आदेश में आए हैं।