जशने ईद मिलादुन्नबी पर हुआ अजीमुश्शान जलसे का आयोजन
बूंदी। जशने ईद मिलादुन्नबी (स.अ.व.) के मुबारक मौके पर एक अजीमुश्शान जलसे का आयोजन बरोज इतवार बाद नमाज़ इशा, जेत सागर रोड़ स्थित मीरा का बाग बड़ी इदगाह में किया गया। जलसे की शुरूआत नावेद रज़ा कादरी शत्तारी ने तिलावते कुरआन से की। मुकरिरे खुसूसी मेहमान हजरत अल्लामा मौलाना मुफ्ती कासिम-उल-कादरी काशीपुर (उत्तराखंड) ने अपनी नुरानी तकरीर में कहा कि पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद स.अ.व. सबके लिए मोहब्बत का पैग़ाम दिया है, सारें जहां में अमन चैन और भाई चारे का संदेश दिया। आज लोग अपने फायदे के लिए इस्लाम को बदनाम करने की नापाक कोशिशें कर रहे है। लेकिन इस्लाम कभी दहशतगर्दी का हिस्सा नहीं रहा। इस्लाम में सभी मज़हबों का आदर सम्मान करने, इंसानियत की भलाई के लिए का करने और अपने वतन के लिए शहादत तक का हुकम दिया है। जलसे की सदारत कर रहे शहरकाजी मुफ्ती नदीम अख्तर सक्काफी ने कहा कि हुज़ूर स.अ.व. की मोहब्बत ही असली जिन्दगी है। हुजूर की जिन्दगी पर जिसने अमल किया उसने मौहब्बत, अमन और भाईचारे का पैग़ाम दिया। उन्होने कहा कि हमें आज हमारे पैग़म्बर कि योमें विलादत के मौके पर उनके बताये गये राहे रास्ते पर चल कर सच्चाई, इमानदारी, वफादारी जैसे मुकाम हासिल करना चाहिये। उन्होने कहा की लोगों को तकलीफ के वक़्त सब्र करना चाहिए जैसे अल्लाह के प्यारे बंदों ने किया। मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का पैगाम है कि इंसानों को नफ्स की, झूंठ बोलने की, हराम कमाने की, दूसरे का हक़ दबाने की, भाई बहनो से रिश्तें तोड़ने की, तक्ब्बूर और घमंड की, आपसी दूश्मनी करने जैसी बुराईयों की ख़त्म करना चाहिए। हमें हमेशा सच बोलने की कोशिश करनी चाहिए और सच्चों का साथ खुलकर देना चाहिये।

 खुसुसी नात ख्वां शायरे इस्लाम बागें मदीना हज़रत मीर अफ्फान वाहिदी उदयपुर, नात ख्वां शायरे इस्लाम तूतिये राजस्थान मौलाना मुश्ताक अहमद अज़ीज़ी कैथून जिला कोटा, मकामी नात ख्वां नावेद रज़ा कादरी शत्तारी बून्दी, नात ख्वां मौलाना इकबाल हुसैन बून्दी, हाफिज़ निसार अहमद, हाफिज ततहीर, कारी मोहम्मद अकरम, हाफिज़ निसार,मौलाना जमील, हाफिज़ जमील, हाफिज मोहम्मद उमर, हाफिज मोहम्मद अयान, हाफिज़ वसीउद्दीन ने एक से बढ़कर एक नातिया कलाम पैश किया। जलसे की निजामत मौलाना नूर मोहम्मद नायब शहर काजी बूंदी ने की। सलातो सलाम के साथ जलसे का इख्तताम किया गया। इस मौके पर जलसा कमेटी के इब्राहीम बराकाती, हसन भाई, जफरुद्दीन, नूर मौलाना, खलील भाई, जफर बख्श, सैफ अली, जहीरूद्दीन, हमीद, फकरूद्दीन, फेजान आदी मौजूद थे।