*उत्तम आर्जव धर्म दूसरों को धोखा नहीं देना*
पर्युषण पर्व के तीसरे रोज
शांति निर्धन स्थल पर जैन मुनीश विद्यासागर महाराज ने धर्म सभा को बताया इस संसार में मनुष्य छल कपट कर रहा है किसी भी व्यक्ति को विश्वास में लेकर उसे धोखा दे रहा है यह धोखा ही बहुत बड़ा पाप बताया इस कारण ही मनुष्य संसार में दुख उठा रहा है
अनादि काल से यह पर्व मनाते आ रहे हैं अपने मन के विचारों को शुद्ध करना बुरे परिणामों को छोड़ना
मुनि ने यह बताया की गुरु से कपट नहीं मित्र की चोरी नहीं करना चाहिए
कृष्ण सुदामा का उदाहरण देते हुए बताया की सुदामा अपने साथ खाने के लिए चावल लेकर गया था छिप-छिप कर खा रहा था कृष्ण ने पूछा तो उन्होंने सही जवाब ही नहीं दिया उसे परिणाम से सुदामा एक दिन गरीब बन गया
सीधे व्यक्ति और सरल व्यक्ति का लाभ लोग ज्यादा लेते हैं चोर का चोरी किया हुआ धन 10 वर्ष के समय बाद समाप्त हो जाएगा और घर में सदैव दरिद्रता और गरीबी उत्पन्न होगी
*मन वचन काया* से हमारे मन में जैसे विचार होते हैं वही निकलते हैं
एक व्यक्ति को छल कपट करके धोखा देने में कामयाब जरूर होता है लेकिन उससे ज्यादा नुकसान भी उसे ही होता है घर में सदैव सुख शांति नहीं रहती मन की सरलता होनी चाहिए मुनि जीवन मैं पूर्ण उत्तम संयम धर्म से ही चलते है
अपने मन को पवित्र रखकर मन वचन काया को सरल रखेंगे किसी को धोखा नहीं देंगे यही आज का मुनि ने धर्म बतलाया
*मनुष्य का स्वभाव ही छल कपट करता है*
क्षुल्लक सुप्रकाश सागर जी महाराज ने बताया कि आज मनुष्य छल कपट कर रहा है यह मनुष्य का स्वभाव बन गया नीति न्याय विवेक बुद्धि से कोई कार्य नहीं कर रहा अगर इसे सोच कर विवेक पूर्वक वह कार्य करें सभी कार्य अच्छा होगा बिना विवेक के किया गया कार्य कभी अच्छा ही नहीं होता अपने स्वभाव को बदलने पर ही धर्म प्राप्त होगा
*आज के शो धर्म इंद्र बाबूलाल जी हितेश कुमार जैन बरमूडा परिवार द्वारा*
रात्रि को बघेरवाल महिला मंडल द्वारा जैन मुनि की मंच पर सभी क्रियाएं दिखाई गई मुनि पिछी कमडल लेकर नगर में प्रवेश धर्म सभा मुनि के आहार क्रिया सभी कुछ दिखाई लोगों ने बहुत सराया मुनि की नाटिका देखकर लोगों ने बहुत तालियां से मंच गूंज उठा