श्री गोकरूणा चातुर्मास आराधना महोत्सव

कोली समाज ने संत सत्कार समारोह में संतों का किया सत्कार  

श्रीकृष्ण के भक्त रहे कोली समाज के पुरखों का गौरवमय और साहसिक इतिहास है : गोऋषि स्वामी दत्तशरणानंदजी महाराज

रेवदर। श्री गोकरुणा चातुर्मास आराधना महोत्सव के तहत आज संत सत्कार समारोह मे नंदगांव केसुआ में बनासकांठा, जालोर, सिरोही व सांचौर के कोली समाज के प्रतिनिधियों ने देशभर से आए सैंकड़ों संतों का सत्कार किया। इस दौरान समाज के लोगों ने गोऋषि स्वामी दत्तशरणानंदजी महाराज, सुरजकुंड के पूज्य सिद्ध संत श्री अवधेश चैतन्य जी महाराज व पूज्य महंत श्री चेतनानंदजी महाराज डण्डाली आबुराज आदि संतो से आशीर्वाद लिया। संत सत्कार समारोह को संबोधित करते हुए गोऋषि स्वामी दत्तशरणानंदजी महाराज ने कहा कि कोली समाज का गौरवमय इतिहास रहा है। कृष्णभक्त कोली समाज ने गौसेवा में अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए थे। इतिहास गवाह है कि महाराष्ट्र राज्य में शिवाजी के प्रधान सेनापति और कई अन्य सेनापति कोली समाज के ही थे। कोलियों से भरी शिवाजी की सेना का शौर्य गर्वपूर्वक कहता है। इस प्रकार इनके पुरखे गोसेवा में हमेशा अग्रणी रहे थे। आज के कलयुग में इस समाज को अपने पुरखो के शौर्य, स्वामिभक्ति और तप को आगे बढ़ाते हुए गोसेवा महाअभियान से जुड़ना चाहिए। इस अवसर पर रेवासा धाम से लाइव संबोधित करते हुए मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदासजी महाराज ने कहा कि सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत सी कोली महिला योद्धाओं ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस प्रकार कोली समाज ने देश और दुनिया को महान बेटे और बेटियाँ दी हैं जिनकी शिक्षाओं का सार्वभौमिक महत्व और प्रासंगिकता आज आधुनिक जीवन में भी है।

कोली समाज के प्रतिनिधियों ने संतो का किया सत्कार

इस दौरान चातुर्मास में पधारे कोली समाज के गोभक्तो ने अयोध्या, मथुरा, वृन्दावन, हरिद्वार, चित्रकूट, काशी, पुरी व 121 दंडी स्वामी सहित देशभर के सैकङों यतीवृन्द संत महात्माओं का तिलक अर्चन साष्टांग दण्डवत प्रणाम कर विधिवत सत्कार संपन्न किया। इससे पूर्व कोली समाज के सैंकड़ों लोगों ने मनोरमा गोलोक परिक्रमा कर गौपूजन किया। इस अवसर पर बबी देवी सरपंच जाखड़ी, मानसिंह अध्यापक जाखड़ी, परेश इसाजी पूर्व सरपंच, बलवंत मुदराजी भवरिया, चेतन कालाजी भवरिया, जगसीराम, प्रताप वकतापुर, अर्जुन धानोल, रूपजी धानोल, नरसी बीजापुर, हेमाजी धानोल, पांचाजी धानोल, शवजी सरपंच वामनवाडजी, कालूजी वामनवाडजी, शंकराराम मेड़ा जालौर, सेधाराम मेड़ा जालौर, हेमराज मेड़ा जालौर, पोपटलाल मेड़ा जालौर सहित कोली समाज के सैंकड़ों बंधु मौजूद रहे।