मामला उजागर होने के बाद भामाशाहों ने की पहल
कोटा।
संभाग के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल में मृतकों के शव को ढकने के लिए कफन के कपड़े की कमी के संबंध में प्रकाशित खबर के बाद सरकार की नींद भले ना खुली हो लेकिन शहर के भामाशाह एक बार फिर आगे आए हैं। रावण सरकार के नाम से मशहूर कर्मयोगी सेवा संस्थान के संस्थापक राजाराम जैन कर्मयोगी तथा अध्यक्ष अलका दुलारी जैन ने कर्मयोगी सेवा संस्थान द्वारा एमबीएस में कफन के लिए कपड़ा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी ली है। शुक्रवार प्रात 11:00 अस्पताल अधीक्षक को संस्थान द्वारा कफन का कपड़ा सोप जाएगा।
महाराज भीम सिंह चिकित्सालय में पिछले एक माह से मृत अवस्था में आने वाले शव को ढकने के लिए निशुल्क कफन की व्यवस्था पिछले एक माह से बंद थी। अस्पताल में मृत अवस्था मे आने वाले संदिगध शव जिन्हें पुलिस को सुपुर्द किये जाते थे उनके निशुल्क कफ़न की व्यवस्था भामाशाहो द्वारा की जा रही थी । एमबीएस अस्पताल की पुलिस चौकी पर कफ़न उपलाबढ होने से पुलिसकर्मी चौकी में रखे कफन के कपड़े से शव को ढक देते थे। लेकिन पिछले एक माह से इन शवो को ढकने के लिए चौकी में कफ़न जा कपड़ा नही होने से शव को स्ट्रक्चर पर खुला रखा जा रहा था। जिससे अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले लोगो की निगाह इन शवो पर पड़ने से लोगो मे आक्रोश वयाप्त था।
*पुलिस कार्रवाई के दौरान दो से तीन घंटे तक खुले में पड़ा रहता है शव:*
दरअसल अस्पताल में मृत अवस्था में आने वाले शव जिनमे पुलिस से संबंधित केस जैसे हार्ट अटैक, दुर्घटना, हत्या तथा संदिग्ध मामले में चिकित्सक द्वारा मृत घोषित करने पर शव को जांच के लिए पुलिस को सौंपा जाता है उन्हें स्ट्रक्चर पर पर्ची काउंटर के पास रखा जाता है। प्रतिदिन सैकड़ो महिला पुरुष बच्चे आदि यहां चिकित्सक को दिखाने के लिए पर्चे बनाने दवा लेने आदि के लिए खड़े रहते हैं। इस दौरान परिजन पुलिस चौकी में मृतक के नाम पता वह आदि जानकारी दर्जी कराई जाती है। जिसमें करीब 1 घंटे तक शव एस्ट्रेक्चर पर पड़ा रहता है तथा मृतक के परिजन चौक के आसपास रोते बिलखते विलाप करते नजर रहते है। पुलिस की लिखित कार्रवाई पूरी होने के बाद अस्पताल का कर्मचारी स्ट्रक्चर पर शव को अस्पताल से करीब 500 मीटर दूर मोर्चरी तक लेकर जाते हैं। इस दौरान स्ट्रक्चर पर मृतक का चेहरा खुला में होने से आने और जाने वाले लोगों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। प्रतिदिन एमबीएस अस्पताल में 4 से 5 मामले ऐसे ही होते हैं।
*अस्पताल प्रशासन ने मुंदी आंखे:*
अस्पताल में कई चिकित्सक, कर्मचारी व गार्ड इन्हें देखने के बाद भी अनदेखा कर रहे थे। यहां तक की अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर धर्मराज मीणा प्रतिदिन अस्पताल का निरीक्षण के दौरान डॉक्टरों की टीम के साथ यहां से होकर निकलते हैं। फिर भी उन्हें इस बात की भनक तक नहीं लगी। मानवता को शर्मसार करने वाला मामला उजागर होने के बाद अस्पताल अधीक्षक ने तुरंत चौकी पर कफन का कपड़ा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। वही अखबार में खबर प्रकाशित होने के बाद कई समाज सेवी संस्थाएं भी इसके लिए आगे आई है।
आखिर क्यों नहीं मिल रहा था मृतक अंतिम समय मे कफ़न :
एमबीएस अस्पताल में शव को ढकने के लिए निशुल्क कफन की व्यवस्था लंबे समय से कोटा ग्रीन सीट और मर्चेंट के अध्यक्ष अविनाश राठी द्वारा पुलिस चौकी पर की जा रही है। लेकिन चौकी पर तैनात पुलिस कर्मियों व अस्पताल के कर्मचारी व मृतको के पीड़ित परिजन का कहना है कि चौकी पर कफन का कपड़ा नहीं है। ऐसे में सवाल उठाना वाजिब है कि जब चौकी पर लगातार कफन के कपड़े की व्यवस्था की जा रही है तो यह कपड़ा जा कहां जा रहा है।
चौकी बाहर लगने के बाद से ही पुलिस का ध्यान नहीं:
दरअसल नयापुरा थाना क्षेत्र में तीन पुलिस चौकी आती है। जिसमें नयापुरा बस स्टैंड, जिला कलेक्ट्रेट तथा एमबीएस अस्पताल की चौकी शामिल है। थाने में पुलिस जवानों की कमी के चलते यहां दो शिफ्ट में करीब तीन से चार पुलिसकर्मियों को लगा रखा है। एमबीएस पुलिस चौकी के अंतर्गत महाराव भीम सिंह अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग, नया अस्पताल भवन व जेकेलोन हॉस्पिताल आता है। इनकी सुरक्षा व्यवस्था के साथ पुलिसकर्मियों पर चौकी से संबंधित के प्रकरणों की फाइलों के निस्तारण की जिम्मेदारी भी होती है। ऐसे में पुराने भवन की चौकी सुनसान पड़ी रहती है। यहां कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं होने से शव को ढकने के लिए कोई कफन का कपड़ा देने वाला नहीं होता। ऐसे में भामाशाहों द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है कफन का कपड़ा कहां और किसके पास है यह पुलिस जांच का विषय है ।