जयपुर में हुए शिक्षक दिवस के मौके राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने उनके स्कूल के समय के शिक्षक का सम्मान किया. इस दौरान CM ने कहा कि मैं भरतपुर रहता था तो मेरे गुरुजी मिल जाते थे. कल मेरे मन में विचार आया कि मेरे गुरुजी कैसे हैं? मैंने पूछा कि आने की स्थिति में हैं क्या? उन्होंने कहा कि हां. तो मैंने कहा कि उन्हें लेकर आइए. CM शर्मा ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि पहले जब प्रथम बार विद्यालय जाते थे तो घरवाले गुड़ बांटते थे. मेरे एडमिशन की दादाजी ने काफी तैयारी की थी. जब वे ले गए तो पट्टी (स्लेट) को सजाया. गुरु दक्षिणा लेकर विद्यालय गए. पहले एडमिशन का बड़ा महत्व था. शंकर लाल जी मास्टर साहब विद्यालय में अकेले शिक्षक थे. मेरा प्रथम एडमिशन उन्होंने ही किया. 5वीं तक उन्होंने मुझे पढ़ाया. मुख्यमंत्री ने अपने बचपन के गुरु शंकर लाल की तारीफ करते हुए कहा कि गांव में खेती का काम होता था. घरवाले भी खेती पर पढ़ाई पर फोकस करते थे. लेकिन गुरुजी ऐसे घरों में जाते थे और घरवालों से बच्चे को स्कूल भेजने कहते. उन्हें कहते, "खेती का काम बाद में हो जायेगा लेकिन बच्चे को स्कूल जरुर भेजो. गुरु बिन. जीवन सूना है. मैं आज उन सभी गुरुजनों को प्रणाम करता हूं और उन्हें बधाई भी देता हूं कि वे ऐसा पावन कार्य कर रहे हैं.

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