दिल्ली की एक अदालत ने जम्मू कश्मीर में कथित तौर पर आतंकी गतिविधियों में आर्थिक मदद देने से जुड़े धन शोधन के एक मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह रिहा करने का आदेश दिया है। पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धीरज मोर की अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धारा 3 के तहत अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सात साल की सजा से अधिक न्यायिक हिरासत में रहने के आधार पर यह आदेश पारित किया। अदालत ने पिछले सप्ताह पारित अपने इस आदेश में कहा कि आरोपी शब्बीर अहमद शाह उर्फ शब्बीर पीएमएलए अधिनियम 2002 की धारा 4 के तहत दंडनीय पीएमएलए की धारा 3 के तहत अपराधिक मुकदमे का सामना कर रहा है, जिसके लिए निर्धारित अधिकतम सजा 7 साल है। वह इस मामले में 26 जुलाई 2017 से लगातार हिरासत में है। इस प्रकार तब से 7 साल से अधिक समय बीत चुका है। ऐसे में भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436 ए के प्रावधान के तहत वह इस मामले में रिहा होने का हकदार है। इसलिए, उसे इस मामले में न्यायिक हिरासत से रिहा करने का निर्देश दिया जाता है। अदालत ने स्पष्ट करते हुए आगे कहा कि यदि किसी अन्य मामले में इस आरोपी की आवश्यकता नहीं है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाए।