समझें माइक्रोमैनेजमेंट का चक्कर
माइक्रो मैनेजमेंट में बॉस या आपका सीनियर आपकी हर छोटी से छोटी एक्टिविटीज पर नजर रखता है और आपको कंट्रोल करने की कोशिश करता रहता है। इससे कर्मचारियों के काम करने की इच्छा कम होने लगती है और वो बहुत ज्यादा तनाव महसूस करते हैं। स्ट्रेस के चलते या तो काम ही नहीं हो पाता या फिर क्वॉलिटी वर्क नहीं हो पाता। जो न इम्प्लॉई के लिए अच्छा होता है, न कंपनी के लिए। सीधे शब्दों में कहें तो इससे प्रोडक्टिविटी और क्रिएटिविटी डाउन होने लगती है।
प्रोडक्टिविटी डाउन होने लगती है
जब बॉस आपके हर एक काम पर नजर रखने लगता है, तो इससे काम करने की आजादी छीनने लगती है, तनाव के चलते काम धीमा होता है या फिर होता ही नहीं है। हर एक काम से पहले बॉस की परमिशन या डिस्कशन के चलते टाइम वेस्ट होता है। इन सारी चीजों में आप चाहकर भी काम में अपना 100% नहीं दे पाते।
मानसिक सेहत होती है प्रभावित
अपनी क्षमता को जानते हुए भी किसी की निगरानी में काम करने से बहुत ज्यादा तनाव होता है। कई बार ये तनाव डिप्रेशन की भी वजह बन सकता है। मेंटल हेल्थ खराब होने से फिजिकल हेल्थ पर भी असर पड़ता है। अच्छा काम करने के लिए फिट बॉडी के साथ माइंड भी रिलैक्स होना चाहिए।
बॉस या सीनियर्स को इस प्रॉब्लम से गहराई से समझना चाहिए और इस ओर ध्यान देना चाहिए।