आबादी क्षेत्र में फिर नजर आया पैंथर, को देख रूके वाहन चालक
क्षेत्रवासियों में दहशत, आरवीटीआर की टीम चौकस
बून्दी। एक ओर जहां बून्दी के जंगल बाघ बघेरों की दहाड से गुजायमान हैं, वहीं दूसरी ओर रिजर्च क्षेत्र में पैंथर की मूवमेंट लगातार बढ़ रही हैं। रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व से सटे आबादी क्षेत्र में इन दिनों पैंथर गढ़ पैलेस की दीवार पर तो कभी नवल सागर के पास सुरक्षा दिवार पर चहलकदमी करता नजर आ रहा हैं, वहीं डोबरा महादेव क्षेत्र के जंगल में लगातार मूपवमेंट देचखी गई हैं। शनिवार रात्रि को साढ़े 11 बजे कुछ वाहन चालकों को एक पैंथर नवल सागर के पास बाईपास रोड पर बनी वन विभाग की सुरक्षा दीवार पर घूमता हुआ नजर आया। पैंथर को देख मौके पर वाहनों की कतारें लग गई और लोग मोबाइल पर पैंथर के वीडियो भी बनाने लग गए। लोगों की भीड़ ओर वाहनों की लाईट की रोशनी को देखकर पैंथर जंगल में ओझल हो गया। गौरतलब हैं कि पिछले कुछ दिनों से बूंदी में गढ़ पैलेस के आसपास, चंपा बाग, शमशान के करीब, टाइगर हिल पहाड़ी के आसपास अक्सर पैंथर का मूवमेंट हो रहा है।
वन विभाग ने की सचेत रहने की अपील
लगातार पैंथर के दिखाई देने से क्षेत्रवासियों में दहशत का माहौल है। वन विभाग के अधिकारियों ने भी क्षेत्र के लोगों से सचेत व सावधान रहने की अपील की है। अधिकारियों के अनुसार रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व का कोर क्षेत्र होने के चलते यहां लंबे समय से पैंथर की मूवमेंट बनी हुई है। आरवीटीआर बून्दी के उपवन संरक्षक (कोर) संजीव शर्मा ने बताया कि लेपर्ड के मूवमेंट की सूचना पर टीम को मौके पर भिजवाया गया हैं, जो इलाके की निगरानी कर रही है। एडवाइजरी जारी कर आमजन से वन क्षेत्र व लेपर्ड के मूवमेंट वाले एरिया से दूरी बनाकर रखने और अकेले व पैदल नहीं निकलने को कहा गया हैं। वन क्षेत्र के करीब होने से अक्सर लेपर्ड का मूवमेंट नजर आता रहता है। लेपर्ड पानी पीने या शिकार के लिए बस्ती के करीब आ जाता है अक्सर लेपर्ड कुत्ते का शिकार करता है। रेंजर हेमेंद्र सिंह ने बताया कि बारिश का मौसम होने से जंगल से निकलकर वन्यजीव साफ सुथरी जगह की तलाश में आबादी क्षेत्र में आ जाते हैं। यहां पैंथर का दिखना आम बात है फिर भी आमजन पैंथर व अन्य वन्यजीव दिखाई देने पर विभाग को तुरंत सूचित करें। हमारे द्वारा उस पर तुरंत कार्यवाही की जाएगी।
हालांकि जिले में पैंथर के द्वारा किसी प्रकार की जन हानि नहीं हुई हैं, लेकिन जंगलों के समीप के गांवों और क्षेत्रों में भेड़ बकरियों के शिकार की घटनाएं अमूमन घटती रही हें। पिछलें दिनों भी कालदां के जंगलों में चरवाहों के डेरे में बकरी और गधे का शिकार पैंथर के द्वारा किया गया, वहीं दबलाना के पास बडगांव में पैंथर ने बकरियों का शिकार किया था। कुछ दिनों पहले लाखेरी क्षेत्र के डागांहेडी गांव में लेपर्ड ने एक बछडे़ का शिकार कर लिया था, जिससे ग्रामीण दहशत में आ गये थे। वहीं, इससे पहले इंदरगढ़ की प्रसिद्ध बीजासन माताजी मंदिर परिसर में भी लेपर्ड की मूवमेंट कैमरे में कैद हुई थी।
रिजर्व क्षेत्र में मृत मवेशियों के डालने पर लगे रोक
वन्य जीव प्रेमी विट्ठल सनाढ्य ने बताया कि टनल क्षेत्र में हाइवे किनारे मृत मवेशियों के डालने पर रोष जताते हुए कहा कि मृत मवेशियों की गंध भी वन्यजीवों को आकर्षित करती हैं। हमारी मांग हैं कि सुरक्षा दीवार का कार्य जल्द पूर्ण हो, ताकि वन्य जीवों को सुरक्षा मिल सके और वन विभाग को प्रशासन के साथ मिल कर हाइवे किनारे और रिजर्व क्षेत्र में मृत मवेशियों के डालने पर रोक लगवाने के प्रयास करने चाहिए। गौरतलब हैं कि बून्दी टनल के बाहर ओवरब्रीज के नीचे सड़क के किनारे पर मृत गोवंश व पशु फेके जा रहे हैं, जिनसे न केवल वातावरण प्रदूशित हो रहा हैं, अपितु मृत मवेशियों की गंध भी वन्यजीवों को आकर्षित हो रहे हैं।
जंगलो में बढ़ी पैंथर की संख्या
बून्दी के जंगलों की आबोहवा वन्यजीवों को रास आ रही हैं, जिसका प्रमाण वन्यजीवों की बढ़ती संख्या हैं। जिले की समृद्ध जैवविविधता व 27 प्रतिशत भूभाग वन क्षेत्र होने से यहां बाघ बघेरों सहित सभी वन्यजीव मौजूद है। अभी रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में 1 बाघ, 2 बाधिन व 3 शावकों सहित 6 बाघ मोजूद हैं, वहीं आरवीटीआर में 25-30 पैंथर व पैराफेरी क्षेत्र में 6 पैंथर मौजूद हैं। रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के सघन एवं दुर्गम जंगलों में बघेरों की संख्या तेजी से बढ़ी है। सदाबहार जलस्रोतों वाले इस जंगल में जंगली सूअर, नीलगाय व सांभर हरिणों की संख्या में भी वृद्धि हुई है लेकिन चिंकारा गायब हो गए हैं।
7 पैंथर हो चुके हैं दुर्घटना के शिकार
चालू वर्ष में अलग अलग दुर्घटनाओं में 7 पैंथर काल कलवित हो चुके हैं। जिनमें से 4 पैंथर हाल ही में बरड़ क्षेत्र में 11 केवी विद्युत लाईन की चपेट में आकर मौत के शिकर हुए। वहीं डाटून्दा के पास दो नाहर घाटी में 1 पैंथर अज्ञात वाहन की चपेट में आकर मरा हुआ पाया गया। इसी प्रकार 2 पैंथर रेल्वे लाइन पर रेल की चपेट में आ चुके हैं।
शिकार की तलाश में आ जाते हैं जंगल से बाहर
आरवीटीआर के उपवन संरक्षक कोर संजीव शर्मा ने बताया कि बून्दी में फैली अरावली की पहाडिय़ां पैंथर के प्राकृत आवास हैं। यहां पैंथर के प्राकृतिक भोजन खुर वाले जानवर सांभर, नील गाय, कुत्ते, बिल्लियां आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। वहीं भेड़ बकरियां भी इसका पसंदीदा भोजन हैं। कहीं बार पैंथर या अन्य जीव इनके चलते भी जंगल के समीपस्थ क्षेत्रों में आ जाते हैं।
अव्वल दर्जे का शिकारी हैं पैंथर
पैंथर, पैन्थरा जीनस का जाति की बड़ी बिल्ली है जो अफ्रीका और एशिया में पाया जाता है। यह बिल्ली प्रजातियों जैसे शेर, बाघ और जैगुआर की तुलना में सबसे छोटा होता है। लेकिन इनमें बहुत शक्तिशाली और चतुर जीव पैंथर की एकाग्रता तो लाज़वाब होती है। शिकार को पकड़ने की तकनीक और हमला करने की शैली पैंथर को एक अव्वल दर्जे का शिकारी बनाती है। आमतौर पर ये निशाचरी होते हैं। पैंथर 56 से 60 किमी प्रति घण्टे की रफ़्तार से दौड़ सकते हैं।
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टनल के बाहर हाईवे के किनारे शहर के मृत मवेशियों को डाला जा रहा हैं, जिनकी गंध वन्य जीवों को आकर्षित करती हैं। यह मृत मवेशी वन्यजीवों के लिए घातक हो सकते हैं। प्रशासन को चाहिए कि इन मृत मवेशियों को हाइवे किनारे और रिजर्व क्षेत्र के समीप डाले जाने पर प्रतिबंध लगाए।
विठ्ठल सनाढ्य, वन्यजीव प्रेमी
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आमजन को वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण से जोड़ने, जागरूकता पैदा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। ताकि उन्हें भी का वातावरण नहीं बने। आमतौर पर पैंथर जैसे वन्यजीव शिकार का पीछा करते हुए या शिकार के लालच में जंगल के बाहर आ जाते हैं। वैस भी पैंथर को जब तक नहीं छेड़ेंगे, वह हमला नहीं करता।
संजीव शर्मा, उपवन संरक्षक (कोर), आरवीटीआर बून्दी