ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर शनिवार को दीगोद क्षेत्र के दौरे पर रहे। उन्होंने उपखंड मुख्यालय परिसर दीगोद में जनसुनवाई की। इस दौरान जिला प्रमुख मुकेश मेघवाल, प्रधान कृष्णा शर्मा, विकास अधिकारी मुकेश स्वर्णकार समेत क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। 

जनसुनवाई में बरसात के बावजूद बड़ी संख्या में लोग परिवेदना लेकर पहुंचे। ऊर्जा मंत्री ने जन समस्याओं को लेकर तुरंत निराकरण के निर्देश दिए। वहीं काममें लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को सख्त निर्देश देते हुए लताड़ भी लगाई। ऊर्जा मंत्री ने ग्रामीणों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की चेतावनी दी। मंत्री नागर ने विभिन्न जगहों से मिलने वाली शिकायतों के बाद जल जीवन मिशन के तहत होने वाले विभिन्न कामों की पूरे जिले में जांच के निर्देश दिए।

जनसुनवाई के दौरान रेलगांव के ग्रामीणों ने आबादी क्षेत्र में स्कूल और मंदिर के पास शराब की दुकान होने और वहां पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगने की शिकायत की। जिस पर ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने जिला आबकारी अधिकारी से बात कर शराब ठेके की लोकेशन बदलने के निर्देश दिए। इस दौरान पंचायत समिति सुल्तानपुर के हनोतिया में जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार को लेकर ग्रामीणों ने शिकायत की। वहीं सरोला पंचायत में भी जल जीवन मित्र के चयन में भ्रष्टाचार होने की शिकायत की गई। जिस पर ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने पीएचईडी के एसई को बुलाकर मामले की जांच करने और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिए।

इस दौरान सुल्तानपुर में सफाई कर्मचारियों को 8 माह से वेतन नहीं मिलने का मामला भी जनसुनवाई में उठाया गया। जिस पर ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने डीएलबी डायरेक्टर को फोन कर सफाई कर्मचारियों का वेतन तुरंत दिलाने के लिए कहा। वहीं खेड़ली तंवरान, मेहराना, डोबरली, मंडावरा गांव के ग्रामीणों ने भारतमाला प्रोजेक्ट के अंतर्गत बने अंडरपास में पानी भरने की शिकायत की। जिस पर एनएचएआई के अधिकारियों को बुलाकर मामले को दिखाने और निस्तारण करने के निर्देश दिए। ग्रामीणों के द्वारा सीएफसीएल की ओर से हर साल अमोनिया गैस का रिसाव करने की शिकायत की गई। ग्रामीणों ने बताया कि अमोनिया गैस का रिसाव करने से हवा में घुलकर फसलों का नुकसान कर देती है। इस पर ऊर्जा मंत्री ने सीएफसीएल के अधिकारियों को मौके पर ही बुलाकर गैस के रिसाव का कारण पूछा। उन्होंने इसकी जांच करने के निर्देश दिए। दीगोद के ग्रामीणों ने भी 108 एंबुलेंस की व्यवस्था करने की मांग की। मंत्री नागर स्वास्थ्य विभाग से आई विभिन्न परिवेदनाओं पर शिविर लगाने के निर्देश दिए।

*अधिकारियों को दी सद्व्यवहार की सीख, तीन कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही के दिए निर्देश*

ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को जनता के साथ सदव्यवहार करने की सीख दी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अपनी समस्या लेकर के अधिकारियों और कर्मचारियों के पास आते हैं तो उनके साथ में बुरा बर्ताव किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मंत्री नागर ने ग्रामीणों से बुरा व्यवहार करने और काम में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इस दौरान मूंडला पंचायत की एलडीसी अनिता कुमारी, सीमलिया पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी रविंद्र मेहता और चारचोमा के विकास अधिकारी को कार्य में उदासीनता बरतने, लापरवाही करने और ग्रामीणों से दुर्व्यवहार करने के मामले में एपीओ करने के निर्देश दिए।

*अनवरत 6 घंटे तक सुने परिवाद, 70 फीसदी का हुआ मौके पर निस्तारण*

ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने सुबह 11 से शाम 5.30 बजे तक सीट पर बैठकर अनवरत लोगों के अभाव अभियोग सुने। उन्होंने मौजूद संबंधित अधिकारियों को बोला बुलाकर हर समस्या के निराकरण के लिए निर्देश दिए। इस दौरान विभिन्न विभागों से संबंधित विभिन्न शिकायतें प्राप्त हुईं। जिनमें से 70 फीसदी का मौके पर ही निस्तारण कर दिया गया।

*रास्ते में हुआ जगह जगह स्वागत* 

हीरालाल नागर का दीगोद जाते हुए रास्ते में जगह जगह ग्रामीणों द्वारा स्वागत किया गया। ग्राम पंचायत मुंडला में 33/11 केवी सब स्टेशन, उप स्वास्थ्य केन्द्र के नवीन भवन के लिए 55 लाख देने और स्कूल में कक्षा कक्षों के निर्माण के लिए 11. 84 लाख स्वीकृत होने पर ग्रामीणों ने ऊर्जा मंत्री का स्वागत किया।

*जनता की बात सुनना जनप्रतिनिधि के साथ अधिकारियों का भी दायित्व*

ऊर्जा मंत्री ने संबोधित करते हुए कहा कि जनता की बात सुनना जनप्रतिनिधियों के साथ ही अधिकारियों का भी दायित्व है। अधिकारियों से हम सहयोग की अपेक्षा रखते हैं। जनता के काम और उनकी समस्याओं के समाधान तत्परता से होने चाहिए। यदि जनसुनवाई में बार-बार परिवेदनाएं आ रही हैं तो इसका मतलब है कहीं ना कहीं कोई कमी है। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि ग्राम विकास अधिकारी और पटवारी समेत सभी अधिकारी और कर्मचारी अपने बैठने का स्थान और समय निर्धारित करें। जहां जाकर लोग अपनी समस्या बता सकें। उच्च अधिकारी इसे मॉनिटर करें।