कोटा। आदिवासी समाज के नेता बिरसा मुंडा की प्रतिमा लगाने पर एसटी-एससी रेलवे एम्पलाइज एसोसिएशन पदाधिकारी आमने-सामने आ गए हैं। बात इतनी अधिक बढ़ गई की मामलो रेलवे कॉलोनी थाने जा पहुंचा। पुलिस मामले की जांच कर रही है। कर्मचारियों ने बताया कि एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों ने बुधवार रात रेलवे कॉलोनी स्थित अंबेडकर भवन परिसर में बने एक चबूतरे पर बिरसा मुंडा की करीब 5 फीट की एक प्रतिमा लगा दी। यह प्रतिमा यहां चबूतरे पर पहले से स्थापित डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास लगाई गई थी। इसका पता चलने पर एसोसिएशन के दूसरे पदाधिकारियों ने गुरुवार को इस प्रतिमा को चबूतरे से हटा दिया।
हुआ विवाद और हंगामा
मुंडा की प्रतिमा हटाने का पता चलते ही दोनों गुटों में गहरा विवाद हो गया। मौके पर बड़ी संख्या में एसोसिएशन के पदाधिकारी, कार्यकर्ता और एसटी एससी समाज के लोग एकत्रित हो गए। दोनों गुटों के अपनी-अपनी बात पर अड़े रहने से मौके पर हंगामा हो गया। एक गुट यहां मुंडा की प्रतिमा लगाने पर अड़ा रहा, जब कि दूसरा गुट इसके लिए लगातार मना करता रहा। इस बात को लेकर दोनों गुटों में काफी बहस और तू तू-मैं मैं हो गई। बात बढऩे पर रेलवे कॉलोनी थाना पुलिस और आरपीएफ भी मौके पर पहुंच गई। इसके बाद दोनों पक्षों ने पुलिस को अपनी शिकायत दर्ज करवाई।
मामले में थानाधिकारी राजेश पाठक ने बताया कि शिकायत मिली है। मामले की जांच की जा रही है।
आज भी हंगामे के आसार
एक गुट के लोगों का कहना है कि शुक्रवार को विश्व आदिवासी दिवस है। इसके चलते शुक्रवार को वह किसी भी हालत में मुंडा की प्रतिमा को दुबारा लगाने का प्रयास करेंगे। जब कि दूसरा गुट इसे रोकने की पूरी कौशिश करेगा। इसके चलते शुक्रवार को भी यहां भारी हंगामा होने की संभावना है। हालांकि किसी भी हालात से निपटने के लिए रेलवे कॉलोनी पुलिस और आरपीएफ के जवान यहां पहले से ही मौजूद रहेंगे।
नियम विरुद्ध लग रही प्रतिमा, रेल प्रशासन मौन
कर्मचारियों ने बताया कि मुंडे की प्रतिमा को यहां नियम तरीके से लगाया जा रहा है। रेलवे ने इस प्रतिमा को लगाने की कोई इजाजत नहीं दी है। इससे पहले यहां लग रही डॉक्टर अंबेडकर की प्रतिमा भी नियम विरुद्ध तरीके से लगी हुई है। रेलवे ने इस प्रतिमा को भी यहां लगाने की इजाजत नहीं दी थी। इसके बाद भी रेलवे एसटी-एससी एसोसिएशन ने यहां पर जबरन अंबेडकर की प्रतीक लगा दी। अब यह विवाद रेलवे की गले की फांस बन गया है। मामले में कोई भी रेलवे अधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। हालांकि डीआरएम सहित कई अधिकारी यहां संगठन के कार्यक्रमों में आते रहे हैं।