नई दिल्ली। दुनिया की सबसे खतरनाक सीमाओं में शामिल भारत-बांग्लादेश की सीमा हमेशा से ही संवेदनशील रही है। भारत-बांग्लादेश के बीच 4096 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी थल सीमा है। बांग्लादेश के अस्तित्व में आने के साथ दोनों राष्ट्रों ने बिना शर्त संबंध साझा किया।
पाकिस्तान के विरुद्ध मुक्ति संग्राम के समय बांग्लादेश को दिया गया भारत का समर्थन बहुत महत्वपूर्ण था। हालांकि, समय के साथ इस सीमा ने भारत के लिए कई चुनौतियां पेश करनी शुरू कर दीं। ऐसे में यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि इस सीमा से भारत को कितना खतरा है।
पांच राज्यों से गुजरती है सीमा
भारत और बांग्लादेश के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा की लंबाई 4096.70 किलोमीटर है, जो भारत के पांच राज्यों बंगाल (2216.70 किमी), असम (263 किमी), मेघालय (443 किमी), त्रिपुरा (856 किमी) और मिजोरम (318 किमी) से सीधे जुड़ी है। इस पूरे क्षेत्र में मैदानी, जल, पहाड़ी और जंगली क्षेत्र का विशाल भूभाग है और इसकी जनसंख्या भी काफी अधिक है।
1986 में शुरू हुआ बाड़ लगाने का काम
इस सीमा पर मौजूद आतंकी, तस्करी, घुसपैठ और अपराध जैसे विभिन्न खतरों को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 1986 में इस पर बाड़ लगाने का काम शुरू किया था। हालांकि, काफी प्रयासों के बाद मार्च 2023 तक कुल 4096 किलोमीटर में से 3180.65 किलोमीटर लंबाई पर बाड़ लगाई जा चुकी थी। भारत सरकार का लक्ष्य मार्च 2024 तक बची हुई 915.35 किलोमीटर पर सीमा पर बाड़ लगाना था, जो पूरा होना बाकी है।
सीमा से खतरे की स्थिति
बांग्लादेश की सीमा से भारत के ऊपर हमेशा से कई तरह के खतरे मंडराते रहे हैं। इनमें आतंकवादी गतिविधियां, भारत में घुसपैठ, अवैध प्रवासियों का प्रवेश, मानव और मादक द्रव्यों की तस्करी, तस्करी समेत कई तरह के अपराध शामिल हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 से मार्च 2024 तक सीमा सुरक्षा बलों द्वारा करीब 8500 करोड़ रुपये मू्ल्य की वस्तुएं अकेले भारत-बांग्लादेश सीमा से जब्त की गई थीं।
भारतीय प्रदेशों में बढ़ती समस्याएं
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सीमा से लगे भारतीय राज्यों में अवैध प्रवासियों के कारण स्थानीय सुरक्षा की समस्याएं बढ़ती आई हैं। इससे राज्यों की जनसंख्या पर दबाव बढ़ने के साथ ही संसाधनों की कमी जैसे सामाजिक दबाव भी देखने को मिले हैं।