नगर निगम की बंधा धर्मपुरा की गोशाला में संख्या से अधिक गोवंश होने के बाद अब निगम प्रशासन ने गोवंसो की सुरक्षा को ध्याम में रखते हुए इन्हें निजी गोशाला में शिफ्ट करने की योजना बनाई है। जिससे इन गोवंश को रहने के लिए उपयुक्त जगह ओर खाने को भोजन मिल सकेगा। इसकी शुरुआत दीगोद से की गई है। निगम ओरशासन ने दीगोद के भांडाहेड़ा स्थित राधा रानी गोशाला में 10 गोवंश जिसमे 7 गाय और 3 बछड़ो को शिफ्ट किया है। 

दरअसल शहर की दोनों नगर निगम क्षेत्र में लावारिस हालत में सेकड़ो गोवंश विचरण करते है। जो कचरे में भोजन की तलाश के दौरान कई अपशिष्ठ प्रदार्थ का सेवन करने है इसके साथ ही उनके पेट मे बड़ी मात्रा में पॉलीथिन जमा हो जाती है। जिससे यह गोवंश असमय काल के ग्रास बन जाते है। कई गोवंश पार्कों व सडको के डिवाइडर पर सौन्दर्यकरण के लिए पगाये पेड़ पौधों को भी नुकसान पहुचाते नजर आते है। इन गोवंश के सड़क पर विचरण करने से कई लोग दुर्घटना ग्रस्त होकर काल का ग्रास तक बन जाते है। ऐसे लावारिश होबनशो के लिए निगम द्वारा बांध धर्मपुरा में गोशाला बनाई हुई है। जहां इनके रहने व खाने की व्यावस्था निगम ओरशासन द्वारा किया जाता है। इसके लिए हर वर्ष सरकार से लाखों रुपये का बजट पास होता है। निगम की गोशाला की क्षमता 1200 के करीब गोवंश रखने की है। लेकिन पकड़े गए गोवंशों को कोई छुड़ाने नही आता जिसके कारण इनकी संख्या दोगुना से अधिक हो गई है। जिससे निगम गोशाला की व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। सहमत से अधिक गोवंश होने से निगम की इन गोवंशों की अकाल मौत हो रही है। प्रतिदिन 4 से 5 गोवंत मर रहे है तो कभी 10 से ज्यादा गोवंश मौत का ग्रास बन रहे है। जिनको गोशाला में इलाज तक नही मिल पाता। निगम प्रशासन ने इन गोवंशों को बचाने के लिए अब निजी गोशालाओं में इन गोवशो को देने का निर्णय लिया है। 

गौशाला समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ने बताया कि नगर निगम की बंधा धर्मपुरा स्थित गौशाला में क्षमता से अधिक गौवंश भरा हुआ है। जिससे वहां समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में प्रशासन ने पशुपालन विभाग को निर्देश दिए थे कि जिन निजी गौशालाओं को राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त होता है। उनमें गौवंशों को शिफ्ट किया जाए। जिले की 22 निजी गौशालाओं को गौवंश देने का आदेश जारी किया था। निगम की गौशाला से पहली भांडाहेड़ा की गौशाला को 10 गौवंश दिए गए हैं। जिन्हें वहां शिफ्ट करवा दिया है। बाकि गौशालाओं में भी उनकी क्षमता के अनुसार गौवंशों को शिफ्ट किया जाएगा ताकि गौवंशों को राहत मिल सके। इधर निगम अधिकारी गौशाला के लिए जमीन के लिए कोई प्रयास ही नहीं कर रहे है।