सांगोद, कोटा शहर के विकास की बागडोर संभाल रही शहरी सरकार यानि नगर पालिका का खजाना इन दिनों खाली है। केन्द्र व राज्य सरकार के अनुदानित बजट के भरोसे चल रही सांगोद नगर पालिका की हालत यह है कि छोटे-छोटे कार्यो के लिए भी बजट की तंगी आड़े आ रही है। लोगों की उम्मीदों को पूरा करने की मंशा से पार्षद पालिका में पहुंचते है लेकिन उन्हें बजट नहीं होने का जवाब सुनने को मिल रहा है। यही हाल यहां विभिन्न कार्यो में लगे अस्थाई कर्मचारियों का हो रहा है। अस्थाई कर्मचारियों को समय पर काम की पगार नहीं मिल रही वहीं पार्षदों को भत्ता नहीं मिल पा रहा। सरकार की ओर से मिलने वाला सालाना अनुदानित बजट भी पूरा नहीं मिल रहा। जिससे नगर पालिका की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। शहर में नए विकास कार्य होना तो दूर पुराने कार्यो की सार संभाल भी नहीं हो पा रही। यहां नगर पालिका बरसों से अनुदानित बजट के भरोसे ही अपना काम संभालती आई है। यूं तो नगर पालिका के पास आय बढ़ोतरी के कई जरिया है लेकिन यहां नगर पालिका इनका उपयोग नहीं कर पा रही। जिसके चलते हालत यह है कि यहां छोटे-छोटे कार्य करवाने के लिए भी नगर पालिका को सरकार के बजट पर निर्भर रहना पड़ रहा है। 

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